आज का सुविचार (7 नवम्बर 2015, शनिवार, कार्तिक कृष्ण ११)
मुख ब्राह्मण, बाहु क्षत्रिय, उदर वैश्य, पग शूद्र सर्वोत्तम सावयववाद है। ऐसी व्यवस्था कोटि-कोटि नेत्र कोटि-कोटि पाद ज्योतित होती पल्लवित होती है। हाथ विश्व के सर्वेत्तम औजार हैं। पानी पीने इनके चुल्लू मुद्रा, सुई में धागा डालती मुद्रा, तमाचा मुद्रा, घूसा मुद्रा, मुट्ठी मुद्रा, मिट्टी भरना मुद्रा, घुग्घू बजाना मुद्रा, कोण नापी मुद्रा, ऊंगली दिखा दिशा निर्देश मुद्रा, लिखना मुद्रा, गाल थपथपाना मुद्रा, सिर पर हाथ फेरना मुद्रा, लड्डू बनाना, रोटी बेलना, आटा गूंथना, सब्जी काटना, कुल्हाडी चलाना, सरौते से काटना, कैंची से काटना, कागज कपडा फाड़ना, ताला खोलना, सामान उठाना, समान बटोरना आदि आदि हर मूद्रा में पंच उंगली समूह जो अंगूठे से क्रमशः ज्ञान, शौर्य, संसाधन, शिल्प तथा सेवा प्रतीक पंच समूह है, अदभुत रूप में कार्य करता है। हर ऊंगली व्यवस्था मुद्रा स्वयमेव सक्षम सहयोगी है। मानव समूह यह व्यवस्था हो तो सावयव सार्थक हो। (~स्व.डॉ.त्रिलोकीनाथ जी क्षत्रिय)
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