।।ओ३म्।।
ऋषि दयानंद सरस्वती कृत सत्यार्थप्रकाश को ध्यानपूर्वक पढने का अर्थ है:-
१.चार वेद, ग्यारह उपनिषद्,छ: दर्शन, अठारह पुराण, कुराण, बाईबिल, गीता,जैन बौद्ध आदि ग्रन्थों के सार को जान लेना ।
२.ईश्वर, जीव, प्रकृति, जीवन के उदेश्यय व ब्राह्म्णड के रहस्यों से परिचित हो जाना ।
३.धर्म अधर्म ,सत्य असत्य,न्याय अन्याय के वास्तविक रूप को जान लेना ।
५.समस्त अन्धविश्वासों व पाखण्डों से मुक्ति पा लेना ।
६.मांस अंडा बिडी सिगरेट शराब आदि को छोड शुध्द शाकाहारी हो जाना ।
७.प्रभुभक्ति, देश भक्ति व विश्व बन्धुत्व की भावना से ओतप्रोत हो जाना।
८. सब को आर्य बनने बनाने की लग्न लग जाना|
(आर्यवर्त)
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