Thursday, November 26, 2015

नमस्ते आर्यों ! जागो सोने वालो, जगाने वाले आ गये। वेद की ये महिमा, बताने वाले आ गये॥ भूलकर जब वेद...

नमस्ते आर्यों !
जागो सोने वालो, जगाने वाले आ गये।
वेद की ये महिमा, बताने वाले आ गये॥
भूलकर जब वेद को, पुराण को अपना लिया।
किया सत्यानाश और, जीवन ये बरबाद किया॥
छूट गया सुख , दुख में सब रो गये।
जागो सोने वालो, जगाने वाले आ गये।
वेद की ये महिमा, बताने वाले आ गये॥
फंसकर पूजा पाठ में, मंदिरो के ठाठ में।
पंडों की बंदरबाट में, नदियों के कुछ घाट में॥
बाबाओं की हाट में,वो प्रभु कहीं खो गये।
जागो सोने वालों, जगाने वाले आ गये॥
वेद की ये महिमा, बताने वाले आ गये॥
बहुत सो लिये, अब जगने का समय है।
“आर्यवर्त के आर्य” की, तुमसे यह विनय है।
मिले थे जो अवसर , बहुत तुमने खो दिये।
जागो सोने वालो, जगाने वाले आ गये।
वेद की ये महिमा, बताने वाले आ गये॥
महर्षि दयानंद के, वीर ये सिपाही हैं।
“ऋषियों मुनियों” जी ने, विद्या ये सिखाई है॥
छोड दो पाखंडों को, ये छुड़ाने वाले आ गये।
जागो सोने वालों, जगाने वाले आ गये।
वेद की ये महिमा,बताने वाले आगये !!
जागो सोने वालों, जगाने वाले आ गये॥
वेद की ये महिमा, बताने वाले आ गये॥


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