क्या आर्य विदेश से आये थे ???
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आदरणीयश्री मल्लिकार्जुन खडगे जी - सादर नमस्ते !
(m.kharge@sansad.nic.in
mallikarjunkharge@yahoo.in)
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आपने संसद में बहस के दौरान आर्यों को विदेशी बताया | हमारी आपसे असहमति है लेकिन आपको अपनी बात मनवाने के लिए निम्न प्रश्नों के उत्तर देने होंगे | कृपा कर उत्तर देने की कृपा करें |
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१) मल्लिकार्जुन शब्द का अर्थ क्या होता है ? यदि इसका अर्थ शिव है तो ये आचार्य भगवान् शिव कौन थे ? आर्य या मूलनिवासी ?
२) आर्य विदेश से किस वर्ष/सन/विक्रम/काल में आये थे ?
३) आर्य विदेश से आये तो किस देश / विस्तार से आये थे ?
४) क्या परिस्थितियाँ थीं जिनके कारण उन आर्य लोगों को उस देश/विस्तार को छोड़ कर इस देश में आना पड़ा ? या स्थानान्तरित हुए ?
५) ऐसा कौन सा आकर्षण था इस देश में जो आर्य विदेश से आये ? क्यों की यह देश तो आपके अनुसार मूलवासियों का है जो की अपने को आज इतने वर्षों बाद भी पिछड़ा / दलित ही मान रहे हैं | आखिर पिछड़ों/दलितों या बताये जाने वाले कालों में ऐसा क्या आकर्षण था जो अपने मूल विस्तार/देश को छोड़ ये इस देश में चले आये ? क्या मूलनिवासियों के पास बहुत धन था ? यदि था तो वे आर्य, मूलवासियों से धन लूट कर ले क्यों नहीं गये ? यदि ले गये तो कब-कब, कितना ले गये ?
६) आर्य जब विदेश से आये तो कितनी संख्या में आये थे ? स्त्री-पुरुष-बालक-वृद्ध आदि कितने-कितने थे ?
७) सबसे पूर्व इस देश के किस विस्तार में प्रवेश किया ?
८) क्या उन गौर वर्ण आर्यों ने बताये जाने वाले काले मूलनिवासियों के साथ सम्बन्ध जोड़ कर सन्तान उत्पत्ति की या नहीं ?
९) आर्य विदेश से आये तो उसका वर्णन किस पुस्तक में मिलता है ?
१०) आर्यों ने अपने कई-कई इतिहास ग्रन्थों का निर्माण किया है जिसमें छोटे-बड़े
देशी-विदेशी युद्धों व घटनाओं का विस्तार से वर्णन किया है तो इस आगमन का वर्णन क्यों नहीं ? रामायण, महाभारत, अनेक इतिहास आधारित नाटकों में कोई वर्णन नहीं मिलता ==> क्यों ??
११) जो बौद्ध आर्यों के विरोधी बताये जाते हैं उन्होंने तक अपने ग्रन्थों में आर्यों का बाहर से आगमन हुआ था ऐसा नहीं लिखा | ऐसा क्यों ? उल्टा इनके साहित्य में आर्य शब्द को बहुत आदर दिया जाता है | जैनी भी आर्य वैदिक धर्म के विरोधी हैं लेकिन आर्य शब्द उनके लिए भी आदरवाचक है | क्यों ?
१२) वेद में (जिसे आप अनेक कवियों की रचना मानते हैं और ईश्वर की रचना/ज्ञान नहीं मानते) लिखा है की “यह भूमि आर्यों को दी है” (“अहं भूमिम् अददामार्याय ” ऋग्वेद ४/२६/२) तो ऐसा वचन किसके लिए लिखा है ? वो कौन सा विस्तार था जिस ओर वेद की वह सूक्ति संकेत करती है ?
१३) इस देश को आर्यावर्त्त कहा जाता है तो यह नामकरण आर्यों के बाहर से इस देश में आने के बाद रखा या पहले से था ? यदि पहले से था तब आपत्ति क्यों ? आर्यावर्त्त देश यदि आर्यों के बाहर से आने के बाद रखा गया तो फिर उनके आगमन से पूर्व इस देश का नाम क्या था ???
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अभी कृपा कर इतने प्रश्नों का उत्तर दीजिये, और कुछ शेष होंगे या आपके उत्तर को पढ़ कर मन में आये तो बाद में पूछ लेंगे |
उत्तर की प्रतीक्षा में
अग्रिम धन्यवाद
वेदानुरागी
विश्वप्रिय
(एक सामान्य नागरिक)
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