ऋषि दयानन्द के कार्य -
1. पाखण्ड खण्डन
2. वेदों के गौरव को पुनर्स्थापित करना
3. गुरुकुलों की स्थापना
4. यज्ञ विधि में संसोधन वेदानुसार
5. स्त्री शिक्षा को बढ़ावा
6. जातिवाद की समाप्ति
7. वर्ण व्यवस्था की महत्ता को उजागर करना
8. वेदों व् अन्य ग्रन्थों पर लगे आक्षेपों की समाप्ति
9. प्रक्षेपित ग्रन्थों में से केवल वेद आधारित बातें ही स्वीकार करना
10. विधर्मियों को मुँह तोड़ जवाब
11. आर्ष ग्रन्थ लेखन
अब आप ही बताइये की क्या किसी पौराणिक पण्डे ने ऐसा साहस किया है
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