मित्रो !विचार करो हमारे लिए व्यक्ति महत्वपूर्ण है या विचार ?व्यक्ति पूजा से ऊपर उठ कर विचारों के प्रति श्रद्धा रखो |व्यक्ति [गुरु ,अवतार आदि ]से जुड़ने वाले उनकी अच्छाई /बुराई सबको स्वीकार लेते हैं ,जबकि विचारों से जुड़ने वाले अच्छे विचार दूसरों से भी ले लेते हैं और बुराई चाहे अपनों की भी हों उससे भी बचे रहते हैं |वे जानते हैं–“शत्रोरपि गुणावाचा दोषावाचा गुरोरपि ’‘अर्थात सद्गुण शत्रु के और दोष गुरु के भी हैं तो खुले मन से स्वीकार करो ,यही गुणग्राहकताहै यही मानवता है |धन्यवाद ||
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