ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि, धीयो यो न: प्रचोदयात् ।।
Oh God, the Protector, the basis of all life, Who is self-existent, Who is free from all pains and Whose contact frees the soul from all troubles, Who pervades the Universe and sustains all, the Creator and Energizer of the whole Universe, the Giver of happiness,Who is worthy of acceptance, the most excellent, Who is Pure and the Purifier of all, let us embrace that very God, so that He may direct our mental faculties in the right direction.
“ ओ३म् -वन्दना ”
हे ओ३म् दीजिये शक्ति, यथोचित काम सभी के आयेंI
दीनों पर करें दया और, जीवों को न कहीं सतायें II
सौरजगत निर्माता स्वयं हैं, पृथ्वी जिसका हिस्सा
उसे पलक झपकते विलय कराते, यह वेदों का किस्सा I
सब घूमें जीव स्वतन्त्र यहाँ, कोई परतंत्र ना हो जायें
हे ओ३म् दीजिये शक्ति, यथोचित काम सभी के आयें II
हो भेदभाव से रहित जगत यह, ईश हमारा सपना
सब जियें यहाँ उस प्रेमभाव से, “मत” हो अपना-अपना I
दो भक्तिभाव हे परमब्रह्म, ना “वेद” विहीन हो जायें
हे ओ३म् दीजिये शक्ति, यथोचित काम सभी के आयें II
वह तीस करोड़ और सरसठ लाख, वर्ष बीस हजार की गिनती
फिर होगी कथित “प्रलय” द्वापर सम, मिलजुल करते विनती I
ब्रह्माण्ड रचयिता हैं आप, हम सूक्ष्मात्मा कहलायें
हे ओ३म् दीजिये शक्ति, यथोचित काम सभी के आयें II
पुनः “आदिमनु” पैदा करते, मानवान्तर के स्वामी
तदोपरान्त सृष्टि चलती, वे अग्रज हम अनुगामी I
परमपिता वह सद्बुद्धि दो, गीत आपके गायें
हे ओ३म् दीजिये शक्ति, यथोचित काम सभी के आयें II
अग्नि वायु आदित्य अंगिरा,“वेदों” के अधिकारी
गले उतारे ओउम ने उनके, सबको दी जानकारी I
विघ्न निवारक और सुखदायक, जो ध्यावें सो पायें
हे ओ३म् दीजिये शक्ति, यथोचित काम सभी के आयें II
चौदह “मनु” निर्मित करते नित्य, “कल्प” जो कहलावे
दिन तीनसौ साठ ‘शतक’ में, महाकल्प बन जावे I
वर्ष इकत्तिस्सौदस बिन्दु चार खरब, की दीर्घायु वे पायें
हे ओ३म् दीजिये शक्ति, यथोचित काम सभी के आयें II
तदोपरान्त उस ब्रह्माण्ड के संग, स्वयं विलीन हो जावें
यह क्रम प्रभु का चले निरंतर, कभी रुकावटें न आवें I
दो श्रेष्ट आत्मा वह साहस, दुष्टों से ना झुक जायें
हे ओ३म् दीजिये शक्ति, यथोचित काम सभी के आयें II
किम कर्तव्य विमूढ़ किये, ये धर्मज्ञों ने अन्तर्यामी
क्षमा करें “गज” त्रुटि हमारी,ओ३मम शरणम गच्छामी I
हे ओ३म् दीजिये शक्ति, यथोचित काम सभी के आयेंI
दीनों पर करें दया और, जीवों को न कहीं सतायें II
—————-Rachayita Gajraj Singh——————
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