Monday, July 6, 2015

फिर ऐसा विद्रोह जगा है कि आग ही आग लगा दू मै। कोई तरीका बतलाओ कैसे सोये हिंदू जगा दू मैं || ये...

फिर ऐसा विद्रोह जगा है
कि आग ही आग लगा दू
मै।

कोई तरीका बतलाओ
कैसे सोये हिंदू जगा दू मैं
||

ये परशुराम के वंशज अब,
बकरी का जीवन जीते है।

और राम के वंशज अब
अपमान की मदिरा पीते है |।

भूल चुके है कृष्ण आज के ।
शिशुपाल है चौखट पार कर चुका।

भूल गयी है आज की शबरी
आया कोई राम भूखा |।

फिर से कंस आतंकी है ।
फिर ताड़का हाहाकार मचाऐ ।

और पड़ा चुपचाप है हिन्दू
कुम्भकर्ण सा पाँव फैलाऐ |।

अब नही जन्मते चंद्रगुप्त
अब नही जन्मते पृथ्वीराज

ये वीणा कब से चुप बैठी है।
भूल गये तानसेन भी देना साज

एक बार जो हिंदू जग जाऐ 
हर कदम पे लाश बिछा दू मै।

दुनिया को आग लगा दू मै
बस हिंदू आज जगा लू मै।

दिनेश आर्य

🚩🚩🚩🚩🚩🚩


from Tumblr http://ift.tt/1eyvlVW
via IFTTT

No comments:

Post a Comment