ध्रुव सत्य है, की १९४७ का बटवारा इस बात पर ही हुआ था की हमे एक ऐसे काफ़िर के साथ नहीं रहेना जो हम से अलग है. जबकि सत्य यह है के आप उस घर में आक्रमणकारी बनकर, शरणार्थी बनकर आये थे आश्रय पाया या जबरदस्ती राज किया और फिर एक दिन आपने ही उनके साथ रहेने से इनकार कर दिया.
उस देश के असली वारिसो की नसले बर्बाद की,
उसके घर को रक्तरंजित और खेत खलियान को लहू लूहान किया,
उसके सभी पवित्र स्थानों (मंदिरों) को अपवित्र किया और अंत में उसी पर तोहमत मारते हुए एक बहुत ही उपजाऊ देश का हिस्सा धर्म के नाम पर मांग लिया.
दे भी दिया गया ! उसने अपनी दोनों भुजाये काट कर धर्म की नफरत को रोकने की पूरी कोशिश करते हुए अपना गोश्त देकर आपकी यह मांग भी पूरी कर दी. जो देश बाँटने के बाद सीमा के उसपार नहीं जा सकते थे उनको इस भारत देश के वासियो ने आपको छोटा भाई और शरणार्थी मान कर सर आखों पर बैठाया और विशेष दर्जा भी दिया, अलाप्संख्यक का. हिन्दू अपनी माँ, बहिन की लुटी असिमिता को भी भूल गए, उसके वीर पुरखो, दसो गुरुओ के बलिदान को भी भूल गए. फिर भी इस देश में बचे इस असहानफरामोश कौम ने उसी के लहू से स्नान करना जारी रखा.
वो जो ले लिया गया उसका तो जिक्र ही नहीं जो अभी है उसपर फिर से वो ही धोंसपट्टी, मेरा लाल गोपाल अभी भी मस्जिदों में कैद है, राम लल्ला अभी भी पुलिस के सायें में है. बाबा विश्वनाथ अभी भी बंधक है. हर शहर और गाँव में अभी भी वो ही दुरभिसंधि जो आज से ६० साल पहेले थी. अभी भी उसकी गौ माता का कलेजा चीर कर गोश्त को खाया और लहू को पीया जा रहा है. अभी भी हिन्दू लडकियों के साथ बलात्कार कर लव जिहाद किया जा रहा है. बाबा अमरनाथ पर जाना आज भी उतना ही कठिन जितना ६० साल पहेले जैसे औरंगजेब को जजिया दिया जाता है अब कश्मीर सकरार को. देश के हिन्दू को आज भी उतना अधिकार नहीं की वो अपनी माँ सरस्वती और दुर्गा के नंगे चित्रों पर विरोध दर्ज ही करा सके. आज भी गाजी और पीर पर ही अगरबत्ती जल रही है. आज भी मस्जिदों को ही संगरक्षण मिल रहा है.
आज आप धर्मनिरपेक्ष, मुसलमान और भारत सरकार हिन्दुओ के साथ न्याय करना चाहेंगी की नहीं? पकिस्तान और बंगलादेश से १९४७ में जो हिन्दू आया था वो अमूमन सक्षम था जिसका बंगलादेश और पकिस्तान के बड़े बड़े नगरो में बहुत ही अच्छा और बड़ा कारोबार था. जिसका नहीं था उसका तो वहीँ पर खतना कर दिया गया. और जो हिंदुस्तान आया उसने यहाँ आकर अपने दम पर हिंदुस्तान में अपना स्थान बनाया. परन्तु आपको फिर से इस देश ने बटवारा करने के इनाम के तौर पर अलाप्संख्यक का विशेष दर्जा दिया जो कालांतर में आपको सभी संसाधनों पर प्रथम स्थान पाने का हकदार बना गया. आज आपको हिन्दुस्तान में इतनी इज्जत और रुतबे के साथ रखा जा रहा है की पकिस्तान के मुसलमान के जीभ में पानी भर आता है और वो वहा से अपनी नौटंकी यहाँ आकर फिल्मो में, टीवी में और संगीत में पैसा कमा कमा कर जाते है.
और आपने हिंदुस्तान के अपने शरण दाताओं को बदले में क्या दिया?
यदि हिन्दुस्तान में एक भी इस कौम का सच्चा बच्चा है तो बताए की तुमने हिंदुस्तान के हिन्दुओ को क्या दिया ?
८०० साल तुमने उनकी असिमिता और भावनाओ से खेला, आज दो देश लेने के बाद भी बदले में उनको वापस क्या किया ?
इसको असाहन फरामोशी नहीं कहेंगे तो क्या कहंगे आप ?
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