–ऐ मानव ! क्या तू अपने हर कार्य को गम्भीरता पूर्वक [ विचार पूर्वक ] करता है ? हाँ कहना सबके लिए बहुत ही कठिन होगा |नहीं करते तो सोचो कि आपका हर कार्य आपके स्वयं के जीवन को , आपके परिवार को तथा समाज व राष्ट्र को अवश्य ही प्रभावित करता है |ऐसे में क्या आपको अपना हर कार्य गम्भीरता पूर्वक नहीं करना चाहिए ?क्या आप अपने जीवन के प्रति ,अपने परिवार ,समाज व राष्ट्र के प्रति भी गम्भीर नहीं रहना चाहते ?अगर नहीं रह सकते तो क्याआप अपने आपको मनुष्य कह सकते हो ?हमारे शास्त्र विचारशील [मननशील ]को ही मनुष्य कहते हैं – “ यो मननात स मनुष्यः ”
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