पश्येम शरदः शतम् ।।१।।
हम सौ शरदों तक देखें, यानी सौ वर्षों तक हमारे आंखों की ज्योति स्पष्ट बनी रहे ।
जीवेम शरदः शतम् ।।२।।
सौ वर्षों तक हम जीवित रहें ।
बुध्येम शरदः शतम् ।।३।।
सौ वर्षों तक हमारी बुद्धि सक्षम बनी रहे, हम ज्ञानवान् बने रहे ।
रोहेम शरदः शतम् ।।४।।
सौ वर्षों तक हम वृद्धि करते रहें, हमारी उन्नति होती रहे ।
पूषेम शरदः शतम् ।।५।।
सौ वर्षों तक हम पुष्टि प्राप्त करते रहें, हमें पोषण मिलता
रहे ।
भवेम शरदः शतम् ।।६।।
हम सौ वर्षों तक बने रहें ।
भूयेम शरदः शतम् ।।७।।
सौ वर्षों तक हम पवित्र बने रहें, कुत्सित भावनाओं से मुक्त रहें ।
भूयसीः शरदः शतात् ।।८।।
सौ वर्षों से भी आगे ये सब कल्याणमय बातें होती रहें ।
(अथर्ववेद, काण्ड १९, सूक्त ६७)
from Tumblr http://ift.tt/1IuuilZ
via IFTTT
No comments:
Post a Comment