सोरठ धरा मे सोभती
आई सोनल साक्षात ।
म्हारा दुखड़ा दुर करो
है मढ़ड़ा वाली मात ।।
गढ़ बिकौण ऊपरे,
बैठी पंख पसार ।
करनल थारो आसरो,
तू हिज है रखवार ।।
आवङ थारी गोद में,
खेल रयो जैसांण ।
तू हिज नीँगे राखजे,
थारा टाबर जांण ||
जय मॉ करनल ।।
जय मॉ सोनल ।।
Jay maa sonal 🙏
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