आस्तिकवाद एवं विज्ञान
महर्षि कपिल का जीवन वृत्तान्त :–
• कपिलमुनि के माता का नाम मनुपुत्री देवहूति और पिता का नाम कर्दम ऋषि था ।
• कर्दम मुनि का आश्रम सरस्वति नदि के तट पर बिन्दुसर नामक तीर्थ पर था ।
• कपिल मुनि का कान आज से लगभग 6000 वर्ष पूर्व है ।
• सांख्य सिद्धान्तों की परम्परा आपने अपने पिता से ही प्राप्त की थी ।
• आपने षष्टितन्त्र नामक शास्त्र की रचना की जिसको आगे चलकर सांख्यदर्शन भी कहा जाने लगा ।
• आपके सांख्यदर्शन का मुख्य विषय है । प्रकृत्ति उसके विकार, विवेकख्याति, और आत्मा आदि ।
• आपके इस सिद्धान्त को आधुनिक विज्ञान ने भी मान्यता दी है :– ( नऽवस्तुनो वस्तुसिद्धिः ) अभाव से भाव नहीं होता ।
• सांख्य परम्परा में आपके आसुरि नामक शिष्य हुए ।
• आसुरि के शिष्य आचार्यपञ्चशिख हुए हैं । जिनके सिद्धान्त भी आपके सांख्यशास्त्र में हैं । राजा जनक की सभा में पञ्चशिखाचार्य की उपस्थिति बताई जाती है ।
• श्रीमदभग्वदगीता में आपके सांख्यशास्त्र की गहरी छाप है । योगेश्वर कृष्ण भी आपके सांख्य के महाविद्वान थे ।
• आपने अपने शास्त्र में २५ तत्वों का उल्लेख किया है । जो सृष्टि रचना में सहयोगी होते हैं ।
• आपका सांख्यदर्शन पूर्ण रूप से आस्तिक है । कुछ लोगों ने ईश्वर विषय को इसमें न पाकर आपको नास्तिक मान लिया था ।
।। ओ३म् ।।
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