मित्रों, एक बार महामति चाणक्य जी दिन में लालटेन लेकर घर घर घूम रहे थे और दिन के उजाले में भी लालटेन जल रही थी। लोगों ने चाणक्य जी से पूछा कि आप दिन के उजाले में लालटेन लेकर क्या ढूंढ रहे हैं चाणक्य जी ने जवाब दिया कि मैं श्मशान ढूंढ रहा हूं तब लोगों ने कहा कि चाणक्य जी श्मशान तो गांव के बाहर है तब महामति चाणक्य जी ने बताया कि जिस घर में विद्वानों का आना जाना, सत्संग नहीं होता है वह घर श्मशान के बराबर है अर्थात जहां विद्धान लोग नहीं आते वहां कौन आते हैं वहां शराबी और गंदे लोग आते हैं इसलिए वह घर श्मशान के बराबर है दूसरा जिस घर में वेदों, ॠषिकृत ग्रन्थों का स्वाध्याय नहीं होता है वह घर श्मशान के बराबर है तीसरा जिस घर से स्वाहा स्वाहा की ध्वनि नहीं सुनाई देती अर्थात जिस घर में अग्निहोत्र नहीं होता है वह घर श्मशान के बराबर है अब आप सभी विचार करें और अपने घरों को श्मशान बनने से बचाये।
from Tumblr http://ift.tt/1D1Pb3h
via IFTTT
No comments:
Post a Comment