मनीश जी अति उत्तम जी,कटु सत्य है,भारत की तो यही दशा है हलाकि यह दुनिया स्वार्थ से ही ही चल रही,कयोकि हर रिश्ते मे भी स्वार्थ ही है,ईश्वर को भी स्वार्थ से मानते है,पूजते है लोग वह महान आत्माये ही होती है जो ईश्वर भगती मे मनव मात्र की कामना करती है,सारी दुनिया के लिए शुभ कामना करते है और यह भावना आर्य जगत मे ही है,वैदिक धर्म मे ही है
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