और (धर्म ) वेदोक्त होने से सब मनुष्यो के लिये यही एक मानने योग्य है अर्थात् उपरोक्त धर्म वेदोक्त है ।वेद ईश्वरीय वाणी है । ईश्वर सब मनुष्यो के लिये एक ही है ।सब मनुष्यो को परमात्मा ने ही बनाया है ।वही सबका माता पिता बन्धुआदि है ।जो अपने माता पिता की आज्ञा का पालन नही करता ।वह कृतघ्न है पापी है । पापी को दुनिया भर मे कही भी चैन नही रहता ।सदा बेचैन, काम क्रोध आदि दुर्गुणो से भरा रहता है । खुद दुखी औरो को भी दुखी करता रहता है । दुनियसारी वेद बिना दुखिया भारी वेद बिना । वेद ईश्वर की चरण शरण बिना पवित्रता नही ।सबको छोडो वेदोक्त धर्म को ही अपनाना पडे गा आज नही तो कल ।
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