आज का भगवद चिन्तन
9-6-2017
प्रकृति से सूक्ष्म आत्मा, आत्मा से सूक्ष्म परमात्मा,
इसलिए परमात्मा सर्वाधिक शक्तिसम्पन्न सर्वशक्तिमान सर्वेश्वर सर्वाधार।
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जो चीज जितनी अधिक सूक्ष्म उतनी अधिक गुणवत्ता में शक्ति में अधिक
इस बात का पता लगाना हो तो वेद का स्वाध्याय कर ऋषि मुनियों की खोज को देखिए किस तरह उन्होंने ईश्वर से सूक्ष्म बुद्धि के बल सूक्ष्म तत्वों का पता लगाया हमारे समक्ष अग्निहोत्र यज्ञ जैसी पर्यावरण शुद्धि के लिए भौतिक सामिग्री को सूक्ष्म करने की इतनी सरल पद्धति रखी जो मात्र 15 मिनट की क्रिया से तीनों लोकों तक पहुँचकर सभी देवों को शुद्ध कर देती है। उसी आधार पर आधुनिक वैज्ञानिक जेम्सवाट ने भाप की शक्ति का पता लगाया ओर हम सब भी यदि जलती हुई अग्नि में एक मिर्च डालते हैं तो पूरे मोहल्ले से छींकने की आवाज सुनने में आजाती है। उसी मिर्च को खाने पर एक ही व्यक्ति पर असर दिखाई पड़ता है वह भी कम।
सृष्टि में हर पदार्थ विभिन्न अवस्थाओं में विद्यमान रहते हैं।
जमीन में पानी द्रव्य रूप में रहता है
ठंडे प्रदेशों में बर्फ रूप में
वायुमंडल में वाष्प रूप में।
बर्फ को जहाँ कम स्थान चाहिए वहीं पानी को अधिक और भाप तो अत्यधिक सूक्ष्म हो बहुत दूर तक फैल जाती है।
ठीक इसी तरह अग्नि में जो भी स्थूल पदार्थ डालते हैं अग्नि अपने स्वभावानुसार उसे सूक्ष्म कर सभी तत्वों अर्थात् देवों को दूर दूर तक बांट देती है। अग्नि में डाली गई औषधियाँ सूक्ष्म होकर तीन जगहों पर अपना असर दिखाती हैं पृथ्वी, अंतरिक्ष और द्युलोक।
अतः विमल वेद द्वारा यज्ञ के वैज्ञानिक रहस्य को समझ नित्य दोनों समय यज्ञ करते हुए जीवन को चारों ओर से निर्मल विमल शुद्ध पवित्र बनाते हुए खुशियों से भरें। तभी सबका कल्याण।
अग्नि में डाली गई आहुति सूक्ष्म होकर वायुमंडल में फैल जाती है।
अग्नि हुतं हविः सम्यक् आदित्यम् उप तिष्ठति।- मनुस्मृति
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