इतिहास की गलत जानकारी :-
आम कहना हैं की सिखों ने हिंदुओं की रक्षा की। खालसा पन्थ की स्थापना के समय ब्राह्मण,हिन्दू खत्री आगे आये थे। हर हिन्दू ने अपने परिवार का बड़ा बेटा खालसा फौज के लिए दिया था। एक और जहां मराठे लड़ रहे थे वहीं दूसरी और राजपूतों और ब्राह्मणों ने मुगलों की नाक में दम किया हुआ था। जब पहली खालसा फ़ौज बनी तब उसका नेतृत्व एक ब्राह्मण भाई प्राग दास जी के हाथ में था। उसके बाद उनके बेटे भाई मोहन दास जी ने कमान सम्भाली। सती दास जी,मति दास जी,दयाल दास जी जैसे वीर शहीद ब्राह्मण खालसा फ़ौज के सेनानायक थे। इन्होंने गुरु जी की रक्षा करते हुए अपनी जान दी। गुरु गोबिंद जी को शस्त्रों की शिक्षा देने वाले पण्डित कृपा दत्त जी भी एक ब्राह्मण थे, उनसे बड़ा योद्धा कभी पंजाब के इतिहास में नही देखा गया। जब 40 मुक्ते मैदान छोड़ कर भागे तब एक बैरागी ब्राह्मण लक्ष्मण दास जी उर्फ़ बन्दा बहादुर जी और उसका 14 साल के बेटे अजय भारद्वाज ने गुरु जी के परिवार की रक्षा के लिए सरहिंद में लड़े। चप्पड़ चिड़ी की लड़ाई में उनकी इतिहासिक विजय हुई। 1906 में खालसा पन्थ सिख धर्म बना। अकाली लहर चला कर उसे हिन्दू धर्म से कुछ लोगों ने अलग कर दिया। इतिहास से छेड़छाड़ हुई पर सच्चाई कभी बदल नही सकती।
सभी ब्राह्मणों से अनुरोध है इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और महान ब्राह्मण योद्धाओं जिनका इतिहास बिकाऊ वामपंथी इतिहासकारों ने मिटा दिया वो सबके सामने आये।
from Tumblr http://ift.tt/2rZ2WDV
via IFTTT
No comments:
Post a Comment