एक विचार
RSS विश्व का सबसे बड़ा संगठन है। सरकार में उसकी चलती है। लाखों की संख्या में उसके सदस्य है। हज़ारों शिशु मंदिर, एकल विद्यालय, पूर्णकालिक प्रचारक है। पूरे विश्व में उसकी शाखाएं है। अरबों रुपये की प्रॉपर्टी है। फिर भी वेदों के प्रचार प्रसार के लिए कुछ नहीं करता।
आर्यसमाज 140 वर्ष पुराना अंतर्कलह से पीड़ित संगठन है। जो कभी सत्ता में नहीं आया। जिसका हर किसी ने आज तक विरोध किया है। जिसके सीमित संसाधन और सीमित कार्यकर्ता है। वह इतने विरोध के बाद भी आज भी जैसे तैसे वेदों के प्रचार प्रसार के लिए पुरुषार्थ कर रहा हैं। आर्यसमाज के समर्पित कार्यकर्ताओं का यह समर्पण एवं स्वामी दयानन्द के प्रति आदर भाव वंदनीय एवं अनुकरणीय हैं।
डॉ विवेक आर्य
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