Saturday, June 24, 2017

स्वस्तिवाचनम् - ऋग्वेद- मण्डल७/सूक्त३५/मन्त्र१५ ये देवानां यज्ञिया यज्ञियानां मनोर्यजत्रा अमृता...

स्वस्तिवाचनम् - ऋग्वेद- मण्डल७/सूक्त३५/मन्त्र१५

ये देवानां यज्ञिया यज्ञियानां मनोर्यजत्रा अमृता ऋतज्ञा:।
ते नो रासन्तामुरुगायमद्य यूयं पात स्वस्तिभिः सदा नः।८।

अर्थ ~ हे परमात्मा ! पूज्य विद्वान, यज्ञ करने वाले, विचारशील का संग करने वाले, सत्य के जानने वाले और ब्रह्मवेत्ता ज्ञानीजन उत्तम विद्या और शिक्षा के उपदेश से हम लोगों को निरन्तर उन्नति देवें। वे विद्वान विद्यादि के दान जैसे अनेक उपायों के द्वारा सर्वदा हमारी रक्षा करें।


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