Saturday, June 10, 2017

*“ काश ऐसी बारिश आए ”*.., जिसमें *अहम* डूब जाए, *मतभेद* के किले ढह जाएं, *घमंड* चूर चूर...

*“ काश ऐसी बारिश आए ”*..,
जिसमें
*अहम* डूब जाए,
*मतभेद* के किले ढह जाएं,
*घमंड* चूर चूर हो जाए,
*गुस्से* के पहाड़ पिघल जाए,
*नफरत* हमेशा के लिए दफ़न हो जाए,
और, हम सब
*“ मैं ”* से *“ हम ”* हो जाए …
🌹 🌹


from Tumblr http://ift.tt/2rcF67o
via IFTTT

No comments:

Post a Comment