श्रीकृष्ण जैसा योगी ना रै
रावण सा अभिमान नहीं
कितणा ए घमंड करे जा तू मन मैं नारद जीतणा ज्ञान नहीं
दयानंद सा रै इस दुनिया मैं वेदों का विद्वान नहीं
चाहे लाख त्यजुरी भरी रहो पर कर्ण जिसा धनवान नहीं
दुर्योधन जीसी ना नही रै
हरिश्चंद्र सी हां कोन्या
वेद शास्त्र ढूंढ लिए पर ओ३म् बराबर ना कोन्या
हेर श्रवण जैसा पूत जगत मैं कौशल्या सी मां कोन्या।
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