मनुष्य सामाजिक प्राणी है अकेला नहीं जी सकता । करोड़ों व्यक्तियों का सहयोग लेकर आपको सब सुविधाएं प्राप्त होती हैं । यदि करोड़ों व्यक्ति आपके सुख के लिए आपकी सुविधाओं के लिए दिन रात मेहनत करते हैं , तो आपका भी कुछ कर्तव्य बनता है यदि आपको ईश्वर ने कुछ अधिक संपत्ति दी है तो उन गरीब असहाय विकलांगों के लिए भी कुछ दान आदि देना चाहिए । वैदिक धर्म प्रचार में भी कुछ दान देना चाहिए । ईश्वर की कृपा से आपको यह संपत्ति प्राप्त हुई है। उसका कुछ भाग ईश्वर की आज्ञा पालन में भी देना चाहिए।
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