*एक स्त्री और उसका पति सर्कस में काम करते थे। स्त्री स्टेज में एक जगह खड़ी हो जाती थी और पति बिना देखे तीर उसकी ओर मारता था जिससे उसके चारो ओर तीरों की डिजाइन बन जाती थी। उसके हर तीर के साथ तालियाँ बजती थी। एक दिन दोनों में तकरार हो गई।*
*पति को इतना गुस्सा आया कि उसने सर्कस के खेल में उसे मारने का मन बना लिया। रोज़ की तरह तमाशा शुरू हुआ। व्यक्ति ने स्त्री को मारने के लक्ष्य करके तीर मारा। पर यह क्या, फिर तालियों की गडगड़ाहट। उसने आँखे खोली तो हैरान रह गया। तीर पहले की तरह ही स्त्री को छूते हुए किनारे लग जाता था।*
*यह है अभ्यास। उसको ऐसे ही अभ्यास था तो वह चाहकर भी गलत तीर नही मार सका। इस प्रकार जब सकारात्मक सोचने का अभ्यास हो जाता है तो मन अपने आप ही वश में रह कर परमात्मा की ओर लग जाता है। और चाह कर भी गलत रास्ते पर नहीं चलता।*
*इसलिए सदैव सकारात्मक रहे और खुश रहे।*
आचार्य राम मेहर शास्त्री KKR
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