आर्योद्देश्यरत्नमाला 1⃣👉 ईश्वर = व्याख्या 11 ➡तथा सर्व जीवों को पाप पुण्य के फल ठीक ठीक पहुंचाना है । न्यायकारी होने से ईश्वर सब जीवो के (पाप पुण्य का ठीक ठीक अर्थात् न कम न अधिक )कर्मो का फल पक्षपात रहित हो कर देता है । ईश्वर की न्याय व्यवस्था से कोई बच नही सकता रिश्वत वा क्षमायाचना से माफी मांगने पर छूट बिल्कुल भी नही । अधिक भक्ति वा गुणगान करने पर भी खुश हो कर माफ नही करता।भक्ति का फल अलग है । कर्मो का फल अलग है । ध्यान रहे =पुण्य अधिक, पाप कम होन पर घटत बढत नही चलती।मनुष्य माफ कर देता है किसी भी कारण से ।परमात्मा कभी भी माफ नही करता ।चाहे तुम कितने सिर फटाको, तोबा तोबा करलो छोड़ने वाला नही । तभी तो न्यायकारी कहाता है ।
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