झकझोरनेवाली पोस्ट
घर के पास ही गुरुद्वारा है जहाँ 24 घण्टो बारह महीना लंगर की सेवा चलती है ! मेंरा एक गैर सिक्ख मित्र है , जो की अक्सर रात बे रात आ धमकता और कहता कि चल गुरूद्वारे में लंगर करने चलना है ! यदि मैं कहता कि यार मैं खाना खा चुका हूँ तब भी उसका आग्रह होता की मैं बेशक ना खाऊँ लेकिन उसके साथ चलू !
उसके आने की दो वजह होती ! एक तो उसे लंगर की राजमा,चने,मूंग की मिक्स डाल पसन्द है दुसरा वह अक्सर मज़ाक में कहता की घरवाली से वह डरे जिसको गुरूद्वारे का रास्ता ना मालूम हो !
यानि जब भी उसकी घरवाली से लड़ाई होती तो वह गुस्से से घर से निकलता और यहाँ लंगर में खाकर घर ऐसे रूठ कर सोता मानो भूखा सोया हो ! :-)
गुरुद्वारे के बड़े से लंगर हाल में दीवारो पर बहुत से फ्रेम लगी है जिसमे सिक्ख गुरुओ पर मुगल शासक द्वारा किये अत्याचार बताये गए है !
मेरा मित्र हमेशा मुझे कहता कि यार यह खून खराबे की ,यातना देती हुई तस्वीरें यहाँ नहीं लगाना चाहिए , खाना खाते हुए इसे देखना बड़ा अजीब लगता है , रोटी गले में ही अटक जाती है !
कही किसी को जलती कढ़ाही में खौलते तेल में डाला जा रहा है तो कही किसी को आरी से कटवाया जा रहा है , कहीं किसी के बच्चे को माँ से छीन कर आग में फेका जा रहा तो कहीं मुग़ल सैनिको के बरछो में सिक्खो के कटे सर टंगे हुए है !
एक दिन इसी तरह लंगर खाते हुए उसने फिर वही शिकायत की !
पास ही बैठे लंगर करते एक बुजुर्ग ने सुनकर कहा , यह इसलिये लगाईं गई है ताकि हर निवाले के साथ यह महसूस हो की यह कितने कष्टो और यातना सहने के बाद अपने धर्म को बचाते हुए रोटी मिल रही है , इसे कभी भूलना नहीं चाहिए ! इन लोगो ने अपने प्राण त्याग दिए लेकिन इस्लाम नहीं कबूल किया और अपना घर परिवार अपनी आँखों के सामने उजड़ते हुए देखा , चाहते तो झुक कर अपनी जान बचा लेते , लेकिन तब वह भी आम हो जाते !
उन्होंने दुसरा रास्ता चुना और हमारे सामने नई मिसाल रखी !
लंगर के पश्चात , जब हम दोनों बर्तन साफ़ कर धो रहे तब वह बड़ा चुपचाप बर्तन साफ़ कर रहा था , मैंने उसे छेड़ते हुए मज़ाक में कहा भी कि ऐसे बर्तन घर पर भी साफ़ किया कर , घर वाली खुश रहेंगी लेकिन वह चुप रहा , हमेशा की तरह पलट कर मुंहजोरी नहीं की !
बाहर निकल कर मैंने फिर पूछा क्या हुआ तब वह बहुत संजीदगी से बोला , “ यार हम भी कितने कमीने हैं , अभी जब आयते पूछ कर पूछ कर लोगो को मारने की खबरे आ रही तो हम कैसे कैसे मजाक करते थे ?? कि दो चार आयाते याद कर लेनी चाहिए या कोई क्रेश कोर्स करना होंगा ??? कितने कायर मानसिकता होती हैं हमारी ??? हम मरने के पहले ही मरे होते हैं !
मैंने उसका दिल रखने के लिए कहा कि चल कोई बात नही यार , वह तो हंसी मज़ाक कि बाते रहती बस !
नहीं, वह बोला ” हम जैसा आगे पीछे सोचते हैं , मुसीबत आने पर व्यवहार भी वैसा ही करते हैं “
अब की बार मेरा चेहरा उतर गया था ! क्या वह कुछ गलत कह रहा था ??
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