आप में से अधिकांश लोग चौंक जाएँगे ये सुनकर की ‘खान’ शब्द का टाइटल अमुस्लिम (Non Muslim) है!
‘खान’ यह तुर्क-मंगोल नाम इस्लाम पूर्व से ही प्रचलित है . आज भी मंगोलिया (भारत में उसे ‘मुघलिया’ के भ्रष्ट नाम से जानते है) एक बुद्ध धर्म को मानने वाला राष्ट्र है . यहा पर कोई भी मुस्लिम नही है . आज भी चीन, जापान, कोरिया और मंगोलिया में खान नाम पाया जाता है . चीन का एक मंगोल राजा, जिसका नाम कुबलाई खान था, वो जो बुद्ध और वेदिक धर्म का अनुयायी था . कुबलाई खान के एक शिला लेख में ‘ओम नमो भगवते’ घोष के अक्षर पाए गए है . चेंगिज खान भी एक ऐसा वीर योद्धा था, जिसने इस्लाम को लगभग समाप्त कर दिया था .
चेंगिज खान और उसकी मंगोल सेना (मुघल सेना) ऐसे अमुस्लिम थे, जिन्होंने पहली बार मुस्लिम भूमि में घुस कर, मुस्लिम खलीफा अल मुस्तासिम बगदाद को मारा था . इतिहास बताता है की अरब और फारसी मुस्लिमो ने लगातार २५० वर्ष (१०५० से १२५८) मध्य एशिया पर जिहादी आक्रमण करके तुर्क और मंगोल समूहों को छल-बल से मुस्लिम बनाने के लिए उन पर घोर अत्याचार किये (ठीक वैसे ही जैसे मुस्लिम बनाये जाने पर इन मुघल और तुर्को ने भारत और हिन्दुओ पर किये उन्हें मुस्लिम बनाने के लिए) .
इस बात से कुपित होकर मुस्लिम के विरोध में, मंगोलों ने चेंगिज खान के नेतृत्व में एक महाभयंकर, प्रति-आक्रमण मुस्लिम जगत पर किया . जिस में मंगोल सेना ने लगभग ५,०००,०००० मुस्लिमो का क़त्ल किया और बगदाद की मस्जिदों को मंगोलों (मुघलो) ने ध्वस्त करके कुरान को घोड़े की टापों के नीचे मसल दिया था .
चंगेज खान का पोता “हलाकू खान” एक कट्टर बौद्ध था . हलाकु ख़ान की पत्नी दोक़ुज़ ख़ातून एक नेस्टोरियाई ईसाई थी . हलाकु ने आगे चलकर एक बड़ा साम्राज्य स्थापित किया था , हलाकू के इलख़ानी साम्राज्य में बौद्ध धर्म और ईसाई धर्म को बढ़ावा दिया जाता था .
नवम्बर १२५७ में हलाकु की मंगोल फ़ौज ने बग़दाद की तरफ़ कूच किया जहाँ से ख़लीफ़ा अपना इस्लामी राज चलता था . चंगेज खान और हलाकू खान ने मध्य एशिया के इस्लामी देशो को बर्बरता से कुचला लेकिन उसने भारत पर कभी बुरी नजर नहीं डाली . भारत की सनातन पद्धतियों को भी मंगोलों ने अपने जन जीवन में शामिल किया था . चंगेज खान की समाधि पर लगा हुआ त्रिशूल, भगवान् शिव को समर्पित है .
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