Saturday, September 17, 2016

ओ३म् *🌷कुछ वेद-मन्त्र🌷* *गायत्री महामन्त्र* *ओ३म् भूर्भुवः स्वः । तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य...

ओ३म्

*🌷कुछ वेद-मन्त्र🌷*


*गायत्री महामन्त्र*

*ओ३म् भूर्भुवः स्वः । तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि । धियो यो नः प्रचोदयात् ।।*
―(यजु० ३६ । ३)

*भावार्थ:-*सच्चिदानन्द, सकल जगदुत्पादक, प्रकाशकों के प्रकाशक, परमात्मा के सर्वश्रेष्ठ, पापनाशक तेज का हम ध्यान करते हैं। वह परमात्मा हमारी बुद्धि और कर्मों को उत्तम प्रेरणा करे।


*ओ३म् विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परा सुव । यद्भद्रं तन्न आ सुव ।।*
―(यजु० ३० । ३)

*भावार्थ:-*हे सकल जगत् के उत्पत्तिकर्ता, समग्र ऐश्वर्ययुक्त, शुद्धस्वरुप, सब सुखों के दाता परमेश्वर ! आप कृपा करके हमारे सम्पूर्ण दुर्गुण, दुर्व्यसन और दुःखों को दूर कर दीजिए , जो कल्याणकारक गुण, कर्म, स्वभाव और पदार्थ हैं, वह सब हमको प्राप्त कीजिए।


*य आत्मदा बलदा यस्य विश्व उपासते प्रशिषं यस्य देवाः । यस्य छायाऽमृतं यस्य मृत्युः कस्मै देवाय हविषा विधेम ।।*
―(यजु० २५ । १३)

*भावार्थ:-*जो आत्मज्ञान का दाता, शरीर, आत्मा और समाज के बल का देने हारा, जिसकी सब विद्वान् लोग उपासना करते हैं और जिसका प्रत्यक्ष, सत्यस्वरुप शासन और न्याय अर्थात् शिक्षा को मानते हैं, जिसका आश्रय ही मोक्ष सुखदायक है, जिसका न मानना, अर्थात् भक्ति न करना ही मृत्यु आदि दुःख का हेतु है, हम लोग उस सुखस्वरुप, सकल ज्ञान के देने हारे परमात्मा की प्राप्ति के लिए आत्मा और अन्तःकरण से भक्ति अर्थात् उसी की आज्ञापालन करने में तत्पर रहें।


*स नः पितेव सूनवेऽग्ने सूपायनो भव । सचस्वा नः स्वस्तये ।।*
―(ऋ० १ । १ । ९)

*भावार्थ:-*हे ज्ञानस्वरुप परमेश्वर ! जैसे पुत्र के लिए पिता वैसे आप हमारे लिए उत्तम ज्ञान और सुख देने वाले हैं । आप हम लोगों को कल्याण के साथ सदा युक्त करें ।


*स्वस्ति पन्थामनु चरेम सूर्याचन्द्रमसाविव ।*
*पुनर्ददताघ्नता जानता सं गमेमहि ।।*
―(ऋ० ५ । ५१ । १६)

*भावार्थ:-*हम सूर्य और चन्द्रमा की भाँति कल्याणकारक मार्ग पर चलते रहें । फिर दानी, अहिंसक, ज्ञानीजनों तथा परमात्मा से मेलकर हम सुख प्राप्त करें ।


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