ईद उल जुहा विशेष
कुरबानी या हत्या
की ट्रेनिंग या joy of slaughter!
मुसलमान कई त्यौहार मानते हैं . जिनमें “ईदुज्जुहा "प्रसिद्ध
और प्रिय त्योहर माना जाता है . भारत में इसे
"बकरीद ” भी कहते हैं
.अरबी में ईदुज्जुहा का अर्थ बलिदान
( Sacrifice ) नहीं बल्कि “ पशुवध का आनंद
”( Joy of slaughter ) हैं.क्योंकि इसमें लाखों जानवरों का
क़त्ल होता है .मुसलमानों का दावा है कि यह त्यौहार
नबी इब्राहीम की अल्लाह
के प्रति निष्ठा, भक्ति और उनके लडके इस्माइल की
कुर्बानी को याद करने के लिए मनाया जाता है .और
मुहम्मद साहब उसी इस्माइल के वंशज थे .चूँकि
इब्राहीम की कथा इस्लाम से पहले
की है और इब्राहीम के बारे में जो
सही जानकारी बाइबिल , कुरान और
हदीसों से मिलती वह इस प्रकार है .
1-इब्राहीम का परिचय
इब्राहीम ﺇﺑﺮﺍﻫﻴﻢ का काल लगभग 2000 साल ई
० पू से 1500 ई० पूर्व माना जाता है . इसके पिता का नाम
मुसलमान “ आजर ﺁﺫﺭ ” और यहूदी “तेराह
Terah”( תָּרַח )बताते है .इब्राहीम “ ऊर ”
शहर में पैदा हुआ था . जो हारान प्रान्त में था . वहां से
इब्राहीम कनान प्रान्त में जाकर बस गया था .और
उसके साथ उसकी बहिन ( पत्नी ) और
भतीजा लूत भी आगये थे .इब्राहिम को
एक गुलाम लड़की “ हाजरा ” मिली
थी . जिस से उसने इस्माइल नामक लड़का पैदा किया
था .जिसे मुहम्मद का पूर्वज माना जाता है .
इब्राहीम और सारह से जो लड़का हुआ था उसका
नाम “इसहाक ” था .मुसलमान इनको नबी मानते हैं
.यहूदी इसे अबराहाम( אַבְרָהָם ) कहते हैं .
जिसका अर्थ है जातियों का बाप .मुसलमान इब्राहीम
को एक ,सदाचारी ,सत्यनिष्ठ ,और अल्लाह का परम
भक्त नबी कहते हैं .लेकिन वास्तविकता यह है कि,
1-इब्राहीम का देशत्याग
जब इब्राहीम अपने हारान देश को छोड़ कर कनान
जाने लगा ,तो उसके साथ , लूत ,साराह अपनी सम्पति
भी ले गया और वहीँ बस गया “ बाईबिल
.उत्पत्ति 12 :3 से 5
2-इब्राहीम झूठा और स्वार्थी था
अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने बताया , इब्राहीम झूठ
बोलते थे .उनके प्रसिद्ध तीन झूठ इस प्रकार हैं
,एक मैं बीमार हूँ , दूसरा मैंने मूर्तियाँ
नहीं तोड़ी . यह दोनो झूठ अल्लाह के
लिए बोले थे . और तीसरा झूठ सराह के बारे में था ,
कि यह मेरी बहिन है .
” ﺣَﺪَّﺛَﻨَﺎ ﻣُﺤَﻤَّﺪُ ﺑْﻦُ ﻣَﺤْﺒُﻮﺏٍ، ﺣَﺪَّﺛَﻨَﺎ ﺣَﻤَّﺎﺩُ ﺑْﻦُ ﺯَﻳْﺪٍ، ﻋَﻦْ
ﺃَﻳُّﻮﺏَ، ﻋَﻦْ ﻣُﺤَﻤَّﺪٍ، ﻋَﻦْ ﺃَﺑِﻲ ﻫُﺮَﻳْﺮَﺓَ ـ ﺭﺿﻰ ﺍﻟﻠﻪ ﻋﻨﻪ ـ
ﻗَﺎﻝَ ﻟَﻢْ ﻳَﻜْﺬِﺏْ ﺇِﺑْﺮَﺍﻫِﻴﻢُ ـ ﻋَﻠَﻴْﻪِ ﺍﻟﺴَّﻼَﻡُ ـ ﺇِﻻَّ ﺛَﻼَﺙَ ﻛَﺬَﺑَﺎﺕٍ
ﺛِﻨْﺘَﻴْﻦِ ﻣِﻨْﻬُﻦَّ ﻓِﻲ ﺫَﺍﺕِ ﺍﻟﻠَّﻪِ ﻋَﺰَّ ﻭَﺟَﻞَّ، ﻗَﻮْﻟُﻬُﻬَﺎﺟَﺮَ ﻓَﺄَﺗَﺘْﻪُ،
ﻭَﻫُﻮَ ﻗَﺎﺋِﻢٌ ﻳُﺼَﻠِّﻲ ، “
Sahih Al- Bukhari, Vol.4, Bk 55-Hadith No 578,
Translation by Dr. Muhsan Khan
इब्राहीम के तीन झूठ यह हैं ,
1-जब इब्राहीम ने चुपचाप देवताओं की
मूर्तियाँ तोड़ दी ,और लोगों ने पूछा बताओ क्या यह
काम तुमने किया है .तो इब्राहीम बोला मैंने
नहीं यह तो सबसे बड़े देवता का काम है "सूरा -
अम्बिया 21 :62 से 63
2-जब लोगों ने इब्राहीम के पूछा कि तुम्हारा अल्लाह
यानी दुनिया के स्वामी के बारे में क्या विचार
है ,इब्राहीम आकाश के तारों को देखता रहा , और
बोला मैं तो बीमार हूँ "सूरा -अस सफ्फात 37 :87 से
89
3-इब्राहीम ने साराह के बारे में कहा बेशक यह
मेरी बहिन है , और मेरे बाप की
बेटी है ,लेकिन मेरी सगी माँ
की बेटी नहीं है .इसलिए
अब यह मेरी पत्नी बन
गयी है ” बाइबिल .उत्पत्ति 20 :13
3-इब्राहीम पर लानत
जो भी अपनी बहिन के साथ सहवास
करे उस पर लानत , चाहे वह उसकी
सगी बहिन हो या सौतेली .तो सब ऐसे
व्यक्ति पर लानत करें और कहें आमीन ’
बाइबिल .व्यवस्था 27 :22
तुम पर हराम हैं , तुम्हारी बहिनें “ सूरा -निसा
4 :23
4-इब्राहीम का पापी परिवार
इब्राहीम के काबिले में लड़कों के साथ कुकर्म करने
का रिवाज था और उसका भतीजा लूत भी
ऐसा था . इस कुकर्म को लूत के नाम से "लावातत” कहा जाता है
.इनकी लीला दखिये ,
एक दिन कुछ सुन्दर लडके लूत से मिलने आये ,तो उन्हें देख
कर लोग आगये .इस से लूत चिंतित हो गया .और उन लोगों को
रोकना कठिन होने लगा .क्योंकि वहां के लोग लड़कों के साथ
कुकर्म “ Sodomy” करते थे . लूत ने उन लोगों से कहा इन
लड़कों को छोडो यह मेरी बेटियां हैं यह इस काम के
लिए अधिक उपयोगी हैं .लेकिन लोग बोले तू जानता है
कि हमें क्या पसंद है “सूरा -हूद 11 :77 और 78
जिस तरह इब्राहीम ने अपनी बहिन से
सहवास किया था उसका भतीजा लूत भी
महा पापी था .यह बाइबिल बताती है .
"एक रात लूत की लड़कियों ने तय किया कि आज हम
अपने पिता को खूब शराब पिलायेंगे .और उसके साथ सहवास करेंगे
.पहले एक लड़की बाप के साथ सोयी ,
फिर बारी बारी से सभी बाप के
साथ सोयीं .इस तरह सभी अपने बाप से
गर्भवती हुयीं "बाईबिल -उत्पत्ति
19 :30 से 36
5-इब्राहीम की रखैल हाजरा
इब्राहीम सदाचारी नहीं था
,यह जानकर शैतान ने एक लड़की हाजरा
इब्राहीम के पास भेज दी थी
.इस से इब्राहीम ने सहवास किया था .
अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा है , शैतान ने ही
हाजरा को इब्राहीम के पास इसलिए भेजा था कि वह
उसे दासी के रूप में स्वीकार कर लें .और
जब वह इब्राहीम के पास गयी तो
इब्राहीम बोला . अल्लाह ने मुझे एक
लड़की दासी भेज दी है .
” ﻭﻗﺎﻝ: ’ ﻟﻘﺪ ﺑﻌﺚ ﺍﻟﻠﻪ ﻟﻲ ﺍﻟﺸﻴﻄﺎﻥ . ﺍﺻﻄﺤﺎﺑﻬﺎ ﺇﻟﻰ
ﺇﺑﺮﺍﻫﻴﻢ ﻭﻫﺎﺟﺮ ﺗﻌﻄﻲ ﻟﻬﺎ .“ ﺟﺎﺀ ﺫﻟﻚ ﻋﺎﺩﺕ ﻹﺑﺮﺍﻫﻴﻢ
ﻭﻗﺎﻝ: ” ﺍﻟﻠﻪ ﺃﻋﻄﺎﻧﺎ ﻓﺘﺎﺓ ﺍﻟﺮﻗﻴﻖ ﻟﻠﺨﺪﻣﺔ “
Sahih al-Bukhari, Volume 3, Book 34, Number
420
6-इस्माइल की झूठी पैदायश
चूँकि उस समय काफी बूढ़ा हो चूका था , और
उसकी पत्नी सारह बाँझ थी
,इसलिए इब्राहीम और हाजरा ने मिलकर एक साजिश
रची और कहीं से एक ताजा बच्चा लोगों
को दिखा दिया , कि यह बच्चा हाजरा ने पैदा किया है .और इब्राहिम
ने उस बच्चे का नाम इस्माइल रखा था .
एक दिन इब्राहीम तड़के भोर में उठा ,और अँधेरे में
हाजरा को तैयार किया .और उसे एक बच्चा दिया .फिर हाजरा ने उस
बच्चे को झाड़ियों में छुपा दिया .और हाजरा इस तरह से चिल्लाने
लगी जैसे बच्चा जनने की
पीड़ा हो रही हो .और जब बच्चे के रोने
की आवाज लोगों ने सुनी तो लोगों ने समझा
हाजरा ने बच्चे को जन्म दिया है "बाइबिल .उत्पत्ति 21 :14 से
17
7-अरब हराम की औलाद हैं
अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा कि पहले तो हाजरा सारह के
पास गयी .फिर इब्राहीम के पास
चली गयी .उस समय
इब्राहीम काम कर रहे थे .उन्होंने सारह से इशारे से
पूछा कि यह किस लिए आयी है . साराह ने कहा यह
तुम्हारी दासी है .और सेवा
करेगी .अबू हुरैरा ने कहा इस बातको सुनते
ही रसूल ने मौजूद सभी श्रोताओं से कहा
, सुन लो सभी अरब उसी हाजरा
की संतानें हो ”
“ ﺛﻢ ﺍﻟﻘﻰ ﺭﺟﺎﻝ ﻫﺎﺟﺮ ﻛﺨﺎﺩﻣﺔ ﺑﻨﺖ ﻟﺴﺎﺭﺓ. ﺟﺎﺀ ﺳﺎﺭﺓ
ﺍﻟﻈﻬﺮ (ﻹﺑﺮﺍﻫﻴﻢ ) ، ﻓﻲ ﺣﻴﻦ ﻛﺎﻥ ﻳﺼﻠﻲ. ﺇﺑﺮﺍﻫﻴﻢ ﻭﻫﻮ
ﻳﺸﻴﺮ ﺑﻴﺪﻩ، ﺳﺄﻝ : ” ﻣﺎ ﺍﻟﺬﻱ ﺣﺪﺙ؟ “ ﺃﺟﺎﺑﺖ، ” ﻭﺍﻟﻠﻪ
ﻣﺪﻟﻞ ﺍﻟﻤﺆﺍﻣﺮﺓ ﺍﻟﺸﺮﻳﺮﺓ ﻟﻠﻜﺎﻓﺮ ( ﺃﻭ ﺷﺨﺺ ﻏﻴﺮ
ﺃﺧﻼﻗﻲ ) ﻭﺃﻋﻄﺎﻧﻲ ﻫﺎﺟﺮ ﻟﻠﺨﺪﻣﺔ “. (ﺃﺑﻮ ﻫﺮﻳﺮﺓ ﺛﻢ
ﺧﺎﻃﺐ ﻣﺴﺘﻤﻌﻴﻪ ﻗﺎﺋﻼ: ” ﻫﺬﺍ ( ﺣﺠﺮ ) ﻛﺎﻥ ﺃﻣﻚ ﻳﺎ ﺑﻨﻲ
ﻣﺎ ﻫﻮ ﺑﻴﻦ ﺳﻤﺎ (ﺃﻱ ﺍﻟﻌﺮﺏ، ﻣﻦ ﻧﺴﻞ ﺇﺳﻤﺎﻋﻴﻞ، ﺍﺑﻦ
ﻫﺎﺟﺮ ).“
Bukhari-Volume 4-Book 55: Prophets-Hadith
578
Eng Reference : Sahih al-Bukhari 3358
चूँकि मुहम्मद साहब खुद को भी
इब्राहीम के नाजायज ,पुत्र और शैतान द्वारा
भेजी गई औरत हाजरा के लडके इस्माइल का वंशज
मानते थे .और खुद को इब्राहीम कि तरह रसूल
साबित करना चाहते थे .इसलिए उन्होंने इसके लिए
इब्राहीम द्वारा की इस्माइल
की क़ुरबानी की
कहानी का सहारा लिया .
8-क़ुरबानी का सपना
इब्राहीम के पूर्वज अंधविश्वासी थे और
सपने की बातों को सही समझ लेते थे
.बाइबिल और कुरान में ऐसे कई उदहारण मिलते हैं ,जैसे
"यूसुफ ने पिता से कहा कि रात को मैंने एक सपना देखा कि ग्यारह
तारे .सूरज और चाँद मुझे सिजदा कर रहे हैं , यह उन कर पिता
ने कहा तुम इस सपने की बात अपने भाइयों से
नहीं कहना .ऐसा न हो वह कोई साजिश रचें ” सूरा-
यूसुफ 12 :4 -5
ऐसा ही सपना इब्राहीम ने देखा ,और
सच मान बैठा ,कुरान में लिखा है
जब इब्राहीम का लड़का चलने फिरने योग्य था , तो
इब्राहीम ने उस से कहा बेटा मैंने सपने में देखा कि
जसे मैं तुझे जिबह कर रहा हूँ ,बोल तेरा क्या विचार है “
सूरा -अस सफ्फात 37 :102
(अरबी में "इन्नी उज्बिहुक ﺍﻧّﻲ
ﺍُﺫﺑﺤﻚ ” तेरी गर्दन पर छुरी फिरा
रहा हूँ )
9-अल्लाह ने क़ुरबानी रोकी
जब इब्राहीम ने अपने बेटे का गला काटने के लिए
छुरी हाथ में उठायी ,तो एक फ़रिश्ता
पुकारा ,हे इब्राहीम तुम लडके की तरफ
हाथ नहीं बढ़ाना .हमें यकीं हो गया कि तू
ईश्वर से डरता है .बाइबिल -उत्पत्ति 22 :10 से 12
हमने कहा हे इब्राहीम तूने तो सपने को सच कर
दिया .यह तो मेरी परीक्षा थी
.और फिर हमने एक महान क़ुरबानी कर
दी “सूरा 37 :105 से 107
( नोट - इन आयतों में कहीं पर किसी
जानवर का उल्लेख नहीं है ,और न मैंढे का नाम
है)
10- गाय की कुर्बानी
जब अल्लाह ने मूसा से कहा कि एक गाय को जिबह करो ,तो लोग
बोले क्या तू हमें अपमानित कर रहा है .लेकिन जब लोग मूसा के
कहने पर गाय जिबह कर रहे थे तब भी उनके दिल
काँप रहे थे . सूरा -बकरा 2 :67 और 71
गाय की क़ुरबानी ( ह्त्या ) का एक
वीडियो देखिये
http://www.youtube.com/watch?
v=rgrB9X_mINU&feature=related
(नोट -इस आयत की तफ़सीर में लिखा है
,उस समय मिस्र में किब्ती ( Coptic ) लोग रहते
थे जो गाय की पूजा करते थे .इसी लिए
अल्लाह ने उनकी आस्था पर प्रहार करने और
उनका दिल दुखाने के लिए गाय की कुर्बानी
का हुक्म दिया था .जिसे रसूल ने भी
सही मान लिया था .
(हिन्दी कुरान .पेज 137 टिप्पणी
संख्या 24 मक्तबा अल हसनात रामपुर )
इन सभी प्रमाणों से सिद्ध होता है ,कि 1 .
इब्राहीम को झूठ बोलने की आदत
थी .और सगी बहिन से शादी
करके महापाप किया था , और बाइबिल के मुताबिक यह काम लानत
के योग्य है .2 .यातो इब्राहीम ने सपने में लड़के
की क़ुरबानी की
होगी या शैतान के द्वारा भेजी हाजरा के
फर्जी पुत्र की क़ुरबानी
की होगी .3 .इस झूठी
कहानी को सही मान कर जानवरों का
क़त्ल करना उचित नहीं है .4 .अल्लाह
इब्राहीम और लूत जैसे पापियों को ही
रसूल बनाता है .5 .सारे अरब के लोग इसलिए अपराधी
होते हैं क्योंकि वह इब्राहीम के उस नाजायज लडके
इस्माइल वंशज हैं ,जिसे शैतान ने भेजा था .6 .क्या
इब्राहीम के बाद मुसलमानों में ऐसा
एकभी अल्लाह भक्त पैदा हुआ , जो अपने लडके
को कुर्बान कर देता .यहूदी और ईसाई
भी इब्राहीम को मानते हैं लेकिन
कुर्बानी का त्यौहार नहीं मनाते.
महम्मद साहब ने ईदुज्जुहा की परंपरा मुसलमानों को
ह्त्या की ट्रेनिग देने के लिए की
थी !
No-200/71
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