ॐ यन्मे छिद्रम् चक्षुषो—यजु0 36-2 🌷🌷🌷🌷🌷🌷मन्त्र का पद्य में भाव🙏🙏🙏🙏🙏 जगत् पिता हे जग प्रभु, करो कृपा भरपूर| विमल बनें सब इन्द्रियाँ ,दुर्गुण दोष हों दूर|| नेत्रों में हो दिव्यता ,हृदय बने विशाल |मन निर्मल तन साफ़ कर, चलें तुम्हारी चाल ||👏
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