Friday, March 25, 2016

|५| ऋषि सन्देश |५| “हम और आपको अति उचित है कि जिस देश के पदार्थों से अपना शरीर बना, अब भी...

|५| ऋषि सन्देश |५|

“हम और आपको अति उचित है कि जिस देश के पदार्थों से अपना शरीर बना, अब भी पालन होता है, आगे भी होगा उसकी उन्नति तन-मन-धन से सब मिलकर प्रीति से करें ||”

—स्वामी दयानन्द सरस्वती


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