।।ओ३म् ।।कृण्वन्तो विश्वमार्य।। www.aaryaveercampus.edu.in
|५| ऋषि सन्देश |५|
“हम और आपको अति उचित है कि जिस देश के पदार्थों से अपना शरीर बना, अब भी पालन होता है, आगे भी होगा उसकी उन्नति तन-मन-धन से सब मिलकर प्रीति से करें ||”
—स्वामी दयानन्द सरस्वती
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