अगर किसी दलित को आदर्श मानना है तो रोहित वेमूला को आदर्श मानने से अच्छा है की छोटा राजन को आदर्श माना जाए. छोटा राजन एक दलित परिवार से हैं. लेकिन उन्होनें देश के दुश्मनो का साथ देने के स्थान पर देश के दुश्मनो का सफ़ाया किया. मुंबई धमाकों के आरोपियों को छोटा राजन ने अपने दम पर उन्ही की भाषा में जवाब दिया. मुंबई में फैले दाऊद इब्राहिम के नेटवर्क को किसी शिवसेना, भाजपा संघ आदि ने नही बल्कि छोटा राजन ने अपने बलबूते पर कमजोर किया.भाजपा सरकार ने दाऊद इब्राहिम को गिरफ्तार करने का वादा किया था लेकिन उसके स्थान पर राष्ट्रवादी छोटा राजन को गिरफ्तार किया और उसके आदमियों को गिरफ्तार करके उसके नेटवर्क को कमजोर किया. भाजपा के लोग बड़ी बेशर्मी से इसे अपनी उपलब्धि बता रहे हैं.
जो लोग रोहित वेमूला के नाम पर राजनीति कर रहे हैं उन्हें उसके जीवन से कुछ सीखना चाहिए. रोहित एक सम्मानित लेखक बनना चाहता था. लेकिन वामपंथियों की संगत में आकर वो एक दानव बन गया. वो समझ गया की उसने अपना जीवन बर्बाद कर लिया है. और इसलिए उसने आत्महत्या कर ली. उसने आत्महत्या करने से पहले अपनी मौत पर राजनीति ना करने की इच्छा व्यक्त की थी. लेकिन रोहित वेमूला के नाम पर हंगामा करने वालों ने उसकी अंतिम इच्छा का सम्मान भी नही किया. खुद रोहित की माता ने अपने पुत्र की मौत पर हो रही राजनीति का विरोध किया. लेकिन इन सेक्युलर राष्ट्रद्रोहियों पर कोई असर नही हुआ. आज भी ये वामपंथी और सेक्युलर सोच रोहित जैसे अनेक प्रतिभाशाली युवाओं का जीवन बर्बाद कर रही है.
सेक्युलर लोग दलितों को कल्पना की दुनिया में धकेल रहे हैं और उनको सत्य से दूर किया जा रहा है. अरुण महोर, नरेंद्र राजोरिया जैसे दलितों की हत्या जेहादियों द्वारा कर दी गयी. लेकिन सेकुलरों को इसमें दलितों का उत्पीड़न नज़र नही आया. उत्तर प्रदेश में एक नही अनेक मामले सामने आए हैं जब मुस्लिमों ने दलित महिलाओं का बलात्कार करके उनकी हत्या कर दी. मुसलमानो द्वारा दलित महिलाओं का उत्पीड़न उत्तर प्रदेश में आम हो चुका है और समाजवादी पार्टी की सरकार दलितों पर अत्याचार करने वालों को खुला संरक्षण दे रही है. पुणे में दलितों को मुसलमानो ने जिंदा जला दिया. बंगाल केरल आदि में एक के बाद एक मुस्लिम हिंदुओं की हत्या कर रहे हैं उनमें अधिकांश दलित हैं. लेकिन खुद को दलितों का हितैषी कहने वाले सेकुलरों को इसमे दलित उत्पीड़न नज़र नही आ रहा. पंजाब में दलितों की आबादी का सर्वाधित प्रतिशत है लेकिन आजतक वहाँ कोई दलित मुख्य मंत्री नही बना. दर्शन सिंह केपी जैसे राष्ट्रवादी दलित का जब पंजाब की राजनीति में कद बढ़ना शुरू हुआ तो खालिस्तानियों ने उनकी हत्या कर दी. केजरीवाल जैसे लोग पंजाब में राजनीति कर रहे हैं और निर्दोषों की हत्या करने वाले खालिस्तानी आतंकवादियों का समर्थन कर रहे हैं. अगर उनमे साहस है तो पंजाब में दलितों पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा उठायें. क्या आम आदमी पार्टी पंजाब में किसी दलित को मुख्य मंत्री पद का प्रत्याशी घोषित करेगी.सेकुलरों के अनुसार जेहादियों और खालिस्तानियों को दलितों पर अत्याचार करने का पूरा अधिकार है लेकिन अगर किसी सवर्ण और दलित के बीच विवाद की झूठी अफवाह भी फैल जाए तो ये सेक्युलर पूरा देश अपने सर पर उठा लेते हैं. ये दोहरे मापदंड कब तक चलेंगे.
आज देश को छोटा राजन जैसे राष्ट्रवादियों की आवश्यकता है जो देश के दुश्मनो को उन्ही की भाषा में जवाब दे. दलितों को रोहित वेमूला के स्थान पर छोटा राजन को अपना आदर्श मानना चाहिए. रोहित वेमूला तो राह से भटक गया और असफल होकर दुनिया से चला गया लेकिन छोटा राजन ने देश के लिए जो काम किया वो हमारे देश की पुलिस और खुद को राष्ट्रवादी कहने वाले संगठन भी नही कर पाए. सेक्युलर राष्ट्रभक्षी ये साबित करने में लगे हैं की सवर्ण विदेशी है और दिन में पाँच बार एक विदेशी भाषा में नमाज़ पढ़ने वाले मूलनीवासी हैं. हिंदुओं में फूट डालने की कोशिश की जा रही है. दलितों को काल्पनिक ख़तरे दिखा कर भटकाया जा रहा है लेकिन दलितों को अब अपनी आँखें खोलकर अपने दोस्तों और दुश्मनो में अंतर करना होगा. स्वयं बाबा साहब अंबेडकर के इस्लाम के बारे में क्या विचार थे इस बात का दलितों को अध्ययन करना होगा. दलित महात्मा बुद्ध को आदर्श मानते हैं लेकिन मुस्लिमों ने बौद्धों के साथ क्या किया है इसका इतिहास भी दलितों को जानना होगा. जो मुस्लिम अपनो के नही हुए वो दलितों के क्या होंगे. दलित हो या सवर्ण दोनो तब तक सुरक्षित हैं जब तक भारत की और हिंदुओं अखंडता सुरक्षित है. जिस दिन देश की अखंडता टूट जाएगी उस दिन ना सवर्ण बचेंगे और ना ही दलित. मुसलमान दलितों का प्रयोग करके सत्ता हासिल करना चाहते हैं. सत्ता मिलते ही वो भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र घोषित कर देंगे और फिर सवर्ण और दलित में कोई अंतर किए बिना सभी हिंदुओं की हत्या करेंगे.
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