Friday, March 25, 2016

गहरी बात लिख दी है किसी शख्शियत ने *************** ************ बेजुबान पत्थर पे लदे है करोंडो...

गहरी बात लिख दी है किसी
शख्शियत ने
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बेजुबान पत्थर पे लदे है करोंडो के
गहने मंदिरो में ।
उसी देहलीज पे एक रूपये को
तरसते नन्हें हाथों को देखा है।
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सजे थे छप्पन भोग और मेवे मूर्ती के
आगे ।
बाहर एक फ़कीर को भूख से तड़प के
मरते देखा है ll
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लदी हुई है रेशमी चादरों से वो
हरी मजार,
पर बाहर एक बूढ़ी अम्मा को ठंड
से ठिठुरते देखा है।
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वो दे आया एक लाख गुरद्वारे में
हॉल के लिए,
घर में उसको 500 रूपये के लिए
काम वाली बाई बदलते देखा है।
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सुना है चढ़ा था सलीब पे कोई
दुनिया का दर्द मिटाने को,
आज चर्च में बेटे की मार से बिलखते
माँ बाप को देखा है।
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जलाती रही जो अखन्ड ज्योति
देसी घी की दिन रात पुजारन,
आज उसे प्रसव में कुपोषण के कारण
मौत से लड़ते देखा है ।
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जिसने नहीं दी माँ बाप को भर
पेट रोटी कभी जीते जी ,
आज लगाते उसको भंडारे मरने के
बाद देखा है ll
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दे के समाज की दुहाई ब्याह
दिया था जिस बेटी को जबरन
बाप ने
आज पिटते उसी शौहर के हाथों
सरे बाजार देखा है ।
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मारा गया वो पंडित बेमौत सड़क
दुर्घटना में यारों ,
जिसे खुद को काल सर्प,तारे और
हाथ की लकीरों का माहिर
लिखते देखा है
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जिस घर की एकता की देता था
जमाना कभी मिसाल
दोस्तों
आज उसी आँगन में खिंचती दीवार
को देखा है।
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बंद कर दिया सांपों को सपेरे ने
यह कहकर,
अब इंसान ही इंसान को डसने के
काम आएगा।
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आत्महत्या कर ली गिरगिट ने
सुसाइड नोट छोडकर,
अब इंसान से ज्यादा मैं रंग नहीं
बदल सकता।
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गिद्ध भी कहीं चले गए लगता है
उन्होंने देख लिया कि,इंसान हमसे
अच्छा नोंचता है।
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कुत्ते कोमा में चले गए,ये देखकर कि
क्या मस्त तलवे चाटते हुए इंसान
को देखा है


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