मलिक जी नमस्कार। यह मौलिक लेख है। केवल मलिक जी को प्रस्तुत है।
🔸बी पी शाह
पुरुष सूक्त और मनुष्य की ब्रहमा के मुख से ब्राहमण, भुजा से क्षत्रिय, पेट से वैश्य और पग से शूद्र की उत्पत्ति का वर्णव्यवस्था का प्रतिपादित सिद्धांत अवैज्ञानिक, अमानवीय, अन्याय, अत्याचार और अधर्म का षडयंत्र है।
सभ्य समाज में यह वर्णव्यवस्था का सिद्धांत माननीय नहीं है।
कृष्ण बुद्ध नानक कबीर ने इस वर्णव्यवस्था को अस्वीकार किया है। जन्म के आधार पर वर्णव्यवस्था मानवता विरोधी है। कलाम साहब जन्म से मछुआरे थे। यदि वर्णव्यवस्था मान्य होती तो “कलाम साहब पढ़ लिख नहीं सकते थे। इसरो के वैज्ञानिक नहीं बन सकते थे। मिसाइल मैन भी नहीं बन सकते हैं। राष्ट्रपति तो कभी बन ही नहीं सकते थे।”
अध्यात्म अव्यक्त तत्व सदाशिव ब्रम ऊर्जा शक्ति है। वर्णव्यवस्था से परे पराविज्ञान है। मनुष्य चराचर प्राणी, जीवात्मा परमात्मा का अंश है। मन वचन कर्म साधना योग ध्यान समाधि से प्रत्येक मनुष्य ईश्वरीय विभूतिमय अध्यात्म शक्तियों को प्राप्त कर सकता है।
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