ओ३म्
🌷आयुर्वेदिक चाय🌷
गेहूं के आटे को छानने पर जो (चोकर)शेष बचता है,१० ग्राम चोकर को एक प्याला पानी में अच्छी प्रकार उबालकर कपड़े से छान लें।फिर इसमें दूध और मीठा मिलाकर प्रातः-सायं चाय की भांति पिएँ।इसके निरन्तर सेवन से शरीर दृढ़ व शक्तिशाली बनता है।यदि इसमें बादाम की पांच गिरियाँ अच्छी तरह रगड़कर और मिला ली जाएँ तो मनुष्य बूढ़ा नहीं होता,दिमाग तेज होता है।नजला,जुकाम और सिरदर्द के लिए गुणकारी है।इससे सस्ती और गुणकारी वस्तु मिलना दुर्लभ है।
(2)पीपलीकल्प:-छोटी पीपल ५ दाने आधा किलो दूध में डालकर इतना पकाएँ कि पीपलें नर्म हो जाएँ।फिर पीपलों को निकालकर खा लें।अगले दिन तीन पीपलें बढ़ा दें और ८ दिन तक निरन्तर ३-३ पीपली बढ़ाते रहें।नवें दिन से ३-३पीपली घटाते जाएँ,यहाँ तक कि ५ पीपली पर आ जाएँ।
यह आयुर्वेद की एक अद्भूत और अनोखी चिकित्सा है।इसके सेवन से पुराने-से-पुराना बुखार, खाँसी,श्वास,दमा,क्षय=टी.बी.,हिचकी,विषम ज्वर(बुखार),आवाज बिगड़ना,बवासीर,पेट का वायगोला,जुकाम आदि दूर हो जाते हैं।भूख खूब बढ़ती है।वर्धमान पीपली का प्रयोग मोटा करता है,आवाज को सुरीली बनाता है,तिल्ली और दूसरे रोगों को दूर करता है,आयु और बुद्धि को बढ़ाता है।पाण्डु=पीलिया रोग के लिए रामबाण दवा है।
नोट=औषध-सेवन-काल में दूध और भात के अतिरिक्त अन्य कोई वस्तु नहीं खानी चाहिए।
वृद्ध ,कोमल प्रकृति वाले यदि इतनी पीपली न खा सकें तो उन्हें केवल दूध ही पिलाते जाएँ,परन्तु पीपली इसी संख्या से बढ़ाते जाएँ।
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