भारत माता शब्द नही है श्रद्धा का सम्बोधन है,
भारत माता प्रेम समर्पण सम्बल का उद्बोधन है,
भारत माता भाव पटल पर अमिट अखंडित सूरत है,
भारत माता हर बेटे के मनमंदिर की मूरत है,
भारत माता,स्वाभिमान है भरत भूमि की माटी का,
भारत माता अमर गान है,वीरों की परिपाटी का,
भारत माता,जंगें आज़ादी की अमर कहानी है,
भारत माता,बलिदानी आँखों का निर्मल पानी है,
भारत माता शेखर की पिस्टल से निकली गोली है,
ये अशफाक,कलाम,और अब्दुल हमीद की बोली है,
भारत माता सरहद से आई शहीद की पाती है,
भारत माता हर सैनिक के नयन दीप की बाती है,
भारत माता,पूजा है,अर्पण है,सबकी भाषा है,
भारत माता वतन परस्ती की अंतिम परिभाषा है,
हम सब इसके बेटे हैं,ये सबकी जीवनदाता है,
किसी धर्म की नही बल्कि ये सवा अरब की माता है
कुछ कपूत माइक पर आकर अपना दुखड़ा कहते है,
भारत माता को केवल धरती का टुकड़ा कहते हैं,
इसके आँचल में आने को बाहें खोल नही सकते,
मर जायेंगे,भारत माता की जय बोल नही सकते,
ये वो हैं जिनके पुरखों ने पंख देश के काटे हैं,
भारत माँ को गाली दी जिन्ना के तलवे चाटे हैं,
इसी धरा का खाते पीते, जिस्म पहाड़ी रखते हैं,
सिर पर टोपी गोल और लंबी सी दाढ़ी रखते हैं,
प्यार वतन से हैं इनको,दावा करते चिल्लाते हैं,
लेकिन भारत को ये माता कहने में शरमाते हैं,
असली रंग दिखाया देखो,सैतालिस के पापों ने,
डंक मारना शुरू कर दिया आस्तीन के साँपों ने,
ये गौरव चौहान कहे अब दूर वतन की खाज करो,
संविधान में नियम लिखा दो,इनका सही इलाज करो,
वर्ना कुछ दिन बाद गीत ये पाकिस्तानी गाएंगे,
भारत माँ के ये कपूत भारत माँ को खा जायेंगे,
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