यजुर्वेद 8-14 (८-१४) सँवर्च॑सा॒ पय॑सा॒ सन्त॒नूभि॒रग॑न्महि॒ मन॑सा॒ स शि॒वेन॑ । त्वष्टा॑ सु॒दत्रो॒ वि द॑धातु॒ रायो नु॑ मार्ष्टु त॒न्वो॒ यद्विलि॑ष्टम् ॥ भावार्थ:- मनुष्यों को चाहिये कि पुरूषार्थ से विघया का सम्पादन, विधिपूर्वक अन्न और जल का सेवन, शरीरों को नीरोग और मन को धर्म में निवेश करके सदा सुख की उन्नति करें और कुछ न्यूनता हो, उस को परिपूर्ण करें, तथा जैसे कोई मित्र तुम्हारे सुख के लिये वत्र्ताव वर्ते, वैसे उसके सुख के लिये आप भी वर्तो।। पंडित लेखराम वैदिक मिशन www.aryamantavya.in www.onlineved.com http://ift.tt/18FvwLS subscribe you tube channel “pandit lekhram”
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