-~~**★ मानव जीवन का उद्देश्य ★**~~- संसार में बहुत से बहुमूल्य पदार्थ हैं, उनमें से मानव-जन्म सबसे बढकर है। मनुष्य-जीवन की तुलना में दुनिया की सभी सम्पदाएँ तुच्छ हैं । मनुष्य-जन्म परमात्मा की सर्वोत्तम रचना है। यह नर-तन जीवात्मा के रहने का मकान है । अनेक जन्मों के पुण्य कर्मों के फल स्वरूप मानव-जन्म पाने का सौभाग्य मिलता है। यह जन्म प्रभु की अनमोल देन है। संसार में नर-तन से बढ़ कर कोई ऊँची पदवी नहीं है। यह देह ईश्वरीय रचना का अद्भुत नमूना है। परमात्मा ने शरीर के रुप में हमें करोड़ों की सम्पत्ति दे दी है इसका एक-एक अंग अपने में अमूल्य है। ज्यों-ज्यों उम्र बढ़ती जाती है; त्यों-त्यों शरीर की कीमत का पता चलता जाता है । ईश्वर ने इतनी अमूल्य दौलत देने के बदले में हमसे कोई कीमत नहीं ली है। इतना बड़ा उपकार और कोई नहीं कर सकता। यह शरीर प्रभु का मन्दिर और देवों की नगरी है और परमेश्वर तक पहुँचाने वाली सीढी है। अनेक योनियों में भटकने और चक्कर काटने के बाद यह नर-तन मिला है। सज्जनों वास्तविक रुप से मानव जीवन का परम लक्ष्य है :- ॥★ धर्म ★ अर्थ ★ काम ★ मोक्ष ★॥ इनको अपने जीवन में अपनाना व इनकों सिद्ध करना तथा ईश्वर के सच्चे स्वरूप को पहचान कर उसी की उपासना करनी चाहिये। —~~~***★१०८★***~~~—
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