शंका-समाधान ! शंका- आप मांस भक्षण के विरोध मेँ हिँसा की दलील देते हैँ जबकि संसार मेँ देखिए छोटी मछली बड़ी मछली को खा जाती अर्थात जीव ही जीव का भोजन है चूंकि इंसान सबसे बड़ा यानि उत्तम है तो सबको खा सकता है। समाधान- मित्र ! शेर मनुष्य को भी खा लेता है। इससे तो शेर ही सबसे बड़ा सिद्ध होगा मनुष्य नहीँ। मनुष्य अवश्य सब प्राणियोँ मेँ उत्तम है, परन्तु अपनी निर्दयता के कारण नहीँ, अपितु अपनी विद्या, बुद्धि, दया और सभ्यता के कारण। कुछ जंगली जातियाँ मनुष्य को मार कर भी खा जाती है। आप उनको अपने से उत्तम नहीँ कहते। मनुष्योँ मेँ जो मनुष्य अत्यन्त क्रूर होता है, उसे सब बुरा कहते हैँ। दयावान की सब प्रशंसा करते हैँ। क्रूरता मनुष्य का गुण नहीँ, अपितु अवगुण है। संस्कृत की कहावत है ‘महाजनो येन गतः स पन्थाः’ यानि मार्ग वही है जिसपर विद्वान व्यक्ति चले न कि हिँसक जीव ! क्योँकि शेर, चीता, भेड़िया, मगर, मछली आदि हमारे गुरू नही हैँ। सभ्य जातियोँ का काम है कि असभ्य और क्रूर व्यवहार छोड़कर संसार भर को दया का पाठ पढ़ावे और अपने जीवन से दर्शा देवेँ कि दया धर्म का मूल है और निर्दयता पाप का। इसीलिए कहा भी है कि 'अहिँसा परमो धर्मः'।
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