गीता का आदेश ज्ञानी कथाकार पण्डित सामान्य जन की वुद्धि में भृम उत्नपत्र नही करे !! सर्व कर्माणि समाचरण यानि अच्छी तरह सकाम भाव की जगह निष्काम भाव से करवाये !!!3/25-26 ——————————————————— इस वेद मंत्रानुसार गीता में श्री कृष्ण के भाव स्वामी राम सुखदास जी के शव्दों में समझे ! हे!भरतवंशोद्भव अर्जुन !?!कर्म से आसक्त अज्ञानी जन जिस प्रकार कर्म करते हे -आसक्ति रहित तत्वज्ञ महापुरुष लोक संग्रह करना चाहते हुए सावधानी से कर्म करे ।तत्वज्ञ महापुरुष कर्मो में आसक्तिवाले (सतकार्यो को करने वाले “सकाम "कर्मियो)अज्ञानी मनुष्यो की वुद्धि में भरम न उतपन्न करे -प्रत्युत -स्वयं समस्त कर्मो को अच्छी तरह करता हुआ उनसे भी वैसे ही करवाये !!! मूल तत्व को भांडगिरि में तिरोहित करते हमारे कथाकार प्रवचन कर्ता भव सागर पार उतरने के सही मार्ग पर कितना ध्यान देते हे ?? कृष्ण 2 चिल्लाने या उसके स्वरूप को विकृत करना अपराध नही ?? संततियों को विकृत कर अधर्म नही कर रहे ???? सामान्य जन को सेवा भाव में युक्त रखते हुए उनमे आसक्ति या सकामता के भाव से वचाने के लिए प्रयास हो -कथित विद्वान् कथाकार स्वयं का चरित्र पहले निष्काम भाव युक्त हो ???
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