ऋषि की निशानी है, ये आर्य समाज — आने से इसमें बदले विचार , बचने से रहता है पाखण्ड सवार । बङी ही सुहानी है ये आर्य समाज, ऋषि की निशानी है ये आर्य समाज । टेक जीवन बनाये ऐसे,जैसे फूलों के अन्दर सुगन्धि । बनता है स्वच्छ हृदय और आदत भी मिटती है गन्दी । करती प्रकाश जग अन्दर.सत्य पथ चलानी है ये आर्य समाज, ऋषि की निशानी है ये आर्य समाज — जिसने लिया सहारा, वो जानव से मानव बना है । गिरते हुए बचाये घोर पापों से वह नर बचा है।। वेदों का ज्ञान देती रहे ,ईश्वर की वाणी है ये आर्य समाज ,ऋषि की निशानी हे ये आर्य समाज ——– बिछङे हुए जनो को राघव छाती से इसने लगाया । जो भी हुए विधर्मी उन्हें फिर से है शुद्ध कराया ।। पूछों तो मैं कह दूँ , ये बिछङे मिलानी है प्यारी आर्य समाज । ऋषि की निशानी है ये आर्य समाज । आने से इसमें बदले विचार बचने से ————।
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