ईश्वर के घोर अपमान के दोषी है हम –——-–———— हमारे सनातन वैदिक धर्म में ईश्वर कैसा है, इस विषय पर विशद वर्णन सपष्ट है कि वह निराकार है सर्वव्यापक है । उसे तदनुसार प्राप्त करने के सम्बन्ध में भी सब स्पष्ट है - तो भी हम टेड़े मेढे आकार प्रकार कभी सूंड तो कभी सर्प कभी बन्दर तो कभी कई मुह लगाने के ना केवल अपराधी है बल्कि ईश्वर को अपमानित करने के अपराधी भी बनते है । कभी चूहे कभी बैल कभी गधे की सवारी करवाते है । ज़रा सोचे कि आप सब ऐसी यातना और अपमान झेलने को तैयार नहीं हैं तो फिर ईश्वर को आप किस बात के लिए दण्डित करने पर तुले हुए हैं ? कृपया पाप से बचें । सच्चे शिव सच्चे गणेश सच्चे विष्णु को जानना समझना चाहते है तो सत्यार्थ प्रकाश पढ़े । आप पढ़े और फिर अंतिम निर्णय आपका । आप कुछ भी मानने के लिए स्वतंत्र है । धन्यवाद । उद्देश्य किसी का निरादर करना नहीं सत्य को उजागर करना है ।
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