आर्य समाजी की पूजा ————- एक व्यक्ति ने आर्य समाज को आर्य नमाजी कहा ? मैंने कहा भाई आप ऐसा क्यों कहते हैं तो कहा आर्य समाज पूजा करने से मना करता है इसलिए कहते हैं । मैंने कहा भाई साहब ये आपका भ्रम है आर्य समाज तो कहता है कि पूजा करो, आर्य समाज ने पूजा का कब विरोध किया ? मैने इनका भ्रम एक कवि की रचना से दूर करना चाहूँगा , हर आर्य ऐसी पूजा पद्धति को मानता व करता है। पढ़िए आनन्द लीजिए— पूजा करो पाँच देवों की जग में जो चाहो कल्याण । टेक सबसे प्रथम पूज्य है माता । जन्म और जीवन की दाता ।। माँ से बढ़कर के दुनिया में दूजा है भगवान्। पूजा करो पांच ———– पिता हमारा पालन कर्ता । सब अभिलाषा पूरण करता ।। इनका सब विधि से तुम करते रहो सदा सम्मान । पूजा करो पाँच देवों की————– गुरुजन हमको शिक्षा देते । कर विद्वान हमें जो देते ।। कभी भूल कर भी तुम इनका मत करना अपमान । पूजा करो पाँच देवों की ———– पंडित उपदेशक संयासी । देश धर्म हित बने प्रवासी ।। भोजन वस्त्र अन्न का इनको करते रहना दान । पूजा करो पाँच देवों की जग में ——— पत्नी को पति पूज्यनीय है । पति को पत्नी वंदनीय है ।। एक दूजे पर कर दें जो न्यौछावर अपने प्राण । पूजा करो पाँच देवों की, जग में जो चाहो कल्याण ।। तो आईये आर्य समाजी बनकर डंके की चोट पर कहकर इस पूजा पद्धति को प्रत्येक घर में लागू करें करवाये , तकि सनामत धर्म का झण्डा फिर से लहरा उठे ।
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