तदर्थ एव दृष्यस्याआत्मा||~~योग दर्शन~साधन पाद~सूत्र~21~~~~~~ईश्वर का नहीं कोई प्रयोजन, जीव के हित यह बना दिया वन| आत्मा में आनंद न अपना, नर गाडी में आकर मिलना| भोग मोक्ष सब प्राप्त यहाँ आ, वापिस मुड़ प्रभु का आनन्द पा||
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