ओलम्पिक में पदक जीतने वाली पी. वी. सिंधु और साक्षी को समर्पित।
सिंधु तुमने मेडल जीता
देश झूम कर नाचा है
तुमने भ्रूण हत्यारों के
चेहरे पे जड़ा तमाचा है
आज ख़ुशी से नाच रहे
सिंधु-सिंधु चिल्लाते हो
अपने घर में बेटी जन्मे
फिर क्यों मुँह लटकाते हो?
रियो में अब तक भारत ने
दो मेडल ही पाया है……
और ये दोनों मेडल भी
बेटियों ने ही लाया है…
आज इन्हीं बेटियों के आगे
जनमानस नतमस्तक है..
आज इन्हीं के कारण ही
भारत का ऊँचा मस्तक है
आज ख़ुशी से झूम रहे हो
अच्छी बात है झूमो-गाओ
लेकिन घर में बेटी जन्मे
तब भी इतनी खुशी मनाओ
बेटियाँ कम नहीं किसी से
शक्ति का अवतार हैं……
इनको जो सम्मान न दे
उसका जीना धिक्कार है
(जय हिन्द-जय भारत)
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