हिन्दू धर्म (सनातन-धर्म )में
सवर्ण-दलित भेदभाव…विधर्मियों जनित षड्यंत्र…
🌍 षणयंत्र को समझें 🌍
एकलव्य का अंगूठा काटा गया था तो द्रोणाचार्य भी मात्र एक गाय के लिए तरसे थे , अपमानित भी किये गए थे ।
उस युग में एक ही अपराध के लिये ब्राह्मण को किसी दलित की अपेक्षा सोलह गुना दंड भी मिलता था । इस लिहाज से तो महाभारत काल ब्राह्मण विरोधी हो गया और मनु स्मृति भी ब्राह्मण विरोधी ही हुई ??।
उसी युग में एक मछुआरन की संतान वेदव्यास ने महाभारत लिखी थी, और त्रेता युग में दलित वाल्मीकि ने रामायण लिखी थी।
जब एकलव्य की जाति बताते हो तो हिडम्बा की जाति भी बता दो और ये भी बता दो की उसी हिडम्बा के पोते खांटू श्याम को भगवान की तरह पूजा जाता है ।
श्री राम जी ने एक दलित के झूटे बैर खायें थे । श्री राम जी ने एक दलित को गले लगाया था ।
ध्यान रहें… न्याय - अन्याय हर युग में होते हैं और होते रहेंगे, अहंकार भी टकराएंगे… कभी इनका तो कभी उनका ,यह घटनायें दुर्भाग्यपूर्ण होती हैं पर उससे भी दुर्भाग्यपूर्ण होता है इनको जातिगत रंग देकर उस पर विभाजन की राजनीति करके राष्ट्र को कमजोर करना।
यदि किसी ने भीमराव अंबेड़कर का अपमान किया तो किसी सवर्ण ने ही उनको पढाया भी । किसी एक घटना को अपने स्वार्थ के लिए बार -बार उछालना और बाकी घटनाओ पर मिट्टी डालना कौन सा चिंतन है, यह दलित चिंतन नहीं बल्कि विश्व में अल्पसंख्यक हिन्दू समाज को खत्म करने के अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र के तहत केवल विधर्म प्रेरित राष्ट्रद्रोहियों द्वारा थोपा हुआ दोगला चिंतन है। क्योंकि सदियों की गुलामी अत्याचार के बाद भी हिन्दू न मिट पाए न धर्मांतरित हो पाए।अतः इससे बच कर दलित-सवर्ण (हिन्दुओं) में षड्यंत्रकारियों द्वारा उपजाए जा रहे भेदभाव को नष्ट करके हिन्दू धर्म की महानता की रक्षा करने का प्रण करें और एक बने रहें।
इसलिए भईया सब हिंदु भाई सावधान हो जाओं वरना पक्षताने के सिवाय कुछ नहीं मिलेगा ।
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वृह्मण -क्षत्रिए-वैश्य व सुद्र सभी के चरणों में प्रणाम !
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