*सरल परिचय*
महर्षि दयानन्द सरस्वती जी एक त्यागी, तपस्वी, देश भक्त…..!!!
महर्षि दयानन्द का जन्म गुजरात में हुआ था | वे भारतवर्ष के समाज सुधारकों में सर्वप्रथम हैं |
अपने चाचा और बहिन की मृत्यु देखकर उनके मन में वैराग्य उत्पन्न हुआ और वे सत्य शिव को ढूँढ़ने के लिए घर से निकल पड़े | उन्होंने अनेक वर्षों तक तप किया |
उन्होंने समाज की त्रुटियों को दूर करने के लिए आर्यसमाज की स्थापना की | उन्होंने वेदों का भाष्य करके वेदों का महत्त्व संसार को प्रदर्शित किया |
उन्होंने समाज सुधार के बहुत से काम किये जैसे…
*अस्पृश्यों का उध्दार, स्त्री शिक्षा, गो रक्षा, गोशाला की स्थापना आदि |*
वे पूर्ण सदाचारी, त्यागी, देश भक्त, समाज सुधारक, वेदों के अद्वितीय विद्वान् , असाधारण वक्ता और निर्भीक संन्यासी थे |
महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के कुछ उपदेश…
__/\__ सत्य के ग्रहण करने और असत्य के छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिए ||
__/\__ सब काम धर्मानुसार अर्थात् सत्य और असत्य को विचार करके करने चाहिए ||
__/\__ प्रत्येक को अपनी उन्नति में ही संतुष्ट न रहना चाहिए, किन्तु सबकी उन्नति में अपनी उन्नति समझनी चाहिए ||
__/\__ जो बलवान् होकर निर्बलों की रक्षा करता है वही मनुष्य कहाता है और जो स्वार्थवश होकर परहानि मात्र करता है वह जानो पशुओं का भी बड़ा भाई है ||
__/\__ जो जो विद्या और धर्मप्राप्ति के कर्म हैं वे प्रथम करने में विष के तुल्य और पश्चात् अमृत के सद्दृश होते हैं ||
•__दयानन्द सन्देश __/\__ ऋषि सन्देश__•
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