Monday, August 22, 2016

गंभीरतासे पढ़े , सुपथ पर चलना है तो पढ़े …… यह ह्रदय पुंज जल रहा है इसलिए ज़रा शौच कर...

गंभीरतासे पढ़े , सुपथ पर चलना है तो पढ़े …… यह ह्रदय पुंज जल रहा है इसलिए ज़रा शौच कर पढ़े ……..💥💥💥💥💥💥💥💥💥
—***★★★॥ओ३म्॥★★★***—

*प्रिय मित्रो !*

भारत में प्रतिदिन सैंकडो परिवार अपने धर्म को छोड़कर भिन्न-भिन्न मतों में चले जाते है जिसे हम सामान्य बोलचाल की भाषा में धर्म परिवर्तन करना कहते है ।
क्या आप जानते है सबसे ज्यादा कौन जा रहे हैं विभिन्न मतों में ?
वैसे ये बात किसी से छुपी नही है फिर भी जो नही जानते उनकी जानकारी के लिए बता दूँ कि इनमें सबसे ज्यादा संख्या है सनातनी हिन्दुओं की ????
क्या आप जानते है इसका क्या कारण है ? ???

इसका सबसे बड़ा कारण है अपने धर्म के बारे में जानकारी न होना ।

अपने धर्म के बारे में जानकारी न होने के कारण व्यक्ति किसी के भी बहकावे में आ जाता है और इसी बात का फ़ायदा मुस्लिम व् ईसाई उठा रहे है और लोगों को बहका रहे है।
क्या अजीब बात है न,

हम राधे राधे जपते रहे और केरल, अरुणाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल , मिज़ोरम में धर्मान्तरण ने हदें पार कर दी।

हम जय श्री राम और मंदिर वहीँ बनाएंगे के नारे लगाते रह गए उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश और हैदराबाद से भटके हज़ारों नहीं लाखों युवक इस्लाम या इस्लामिक स्टेट सीरिया से जा मिले।

हम गंगा नदी में अपने पाप धोते रहे और बच्चे हमारे नास्तिक बन गए।

हमने हर सांस में बस ये उम्मीद की, के ईश्वर अवतार लेंगे और हम सबका कल्याण करेंगे और उन्होंने हमारे आदर्शों को धर्मग्रंथों के आधार पर ही मिट्टी में मिला दिया।

*हमने पत्थरों को तो पूजा ये सोचकर के वो भगवान् है पर साथ ही साथ उनके पीर पैगम्बरों की मज़ारों और चर्च आदि में भी दान किया, और उन्होंने इसी धन से धर्मान्तरण की दुकानें खोल ली*।

हमने कभी अपने धर्मग्रंथों को पढ़कर न देखा और उन्होंने इस पर रिसर्च कर उनमे पैगम्बरों को दिखा दिया, हमने श्री राम श्री कृष्ण को आदर्श माना और उन्होंने इनको मांस भक्षक साबित कर दिया।
किसी और की नहीं गलती स्वयं की है, हमने सोच रखा है के धर्म मतलब :–

1. गंगा में स्नान करना, अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करना, पंडों से कर्मकाण्ड करवाना आदि।

2. आस्था के नाम पर पाखण्ड करना, जैसे लाल किताब, ज्योतिष, भविष्यफल, शनि आदि ग्रहों का प्रभाव, लाल हरी चटनी खाकर जीवन में सुख लाना, भूत पिशाच आदि पर विश्वास आदि।

3. लाखों करोड़ों लोगों का ये सोचना के मात्र राम कथा और कृष्णा कथाओं में बैठने से उनको मुक्ति मिल जाएगी।

4. करोड़ों का खून चूसकर कमाए काले धन का कुछ हिस्सा मंदिर आदि में दान कर, जगराते और भंडारे आदि करवाकर ये सोचना के ईश्वर उनकी काली कमाई को माफ़ कर देगा।

5. ईश्वर के नाम पर किसी को भी पूज लेना, पत्थर, मजार, पीर, चर्च आदि।

6. भगवा पहने हर आदमी को संत समझ लेना।
इस लिस्ट को पूरा लिखें तो whatsap hang हो सकता है, विचार करें जिस देश में अाध्यात्मिक गुरुओं की बाढ़ सी आई हुई हो वहाँ 6 -7 साल की बच्चियो से बलात्कार हो जाता है और हम कहते हैं ईश्वर जो करता है अच्छे के लिए करता है, सोचिये और विश्लेषण कीजिये हमारे देश और धर्म को कौन बचाएगा, ये राम कथा और कृष्ण कथा करने वाले मेहन्दी लगाकर बाल बढाकर मंचों पर नाचने वाले नपुंसक बाबा या साईं बाबा जो स्वयं सल्फा गांजा और मांस भक्षण करता था, जो लाल चटनी हरी चटनी और भैरों पर शराब का प्रसाद चढाने की बात करता है या वो जो स्वयं को निरंकारी और राधा स्वामी बताकर गुरुडम का झूठा खेल खेल रहे हैं, वो बचाएंगे जो लाल किताब में आपका भविष्य निर्धारित कर देते है या वो जो करोड़ों रुपये लगाकर अक्षरधाम मंदिर बनवा देते है पर वेदशाला , धर्मशाला , गौशाला , वैध शाला , नहीं बना सकते।

विचार करिये।

*अगर आप वास्तव में ही अपने धर्म के बारे में कुछ जानना चाहते है तो आर्यसमाज को जानें, महर्षि दयानन्द कृत कालजयी धर्ममार्गदर्शिका “सत्यार्थप्रकाश” पढ़ें।*

वेदों और वैदिक ग्रंथों का नियमित पठन पाठन कीजिये , बच्चों में उत्तम संस्कार डालिये, पाखण्ड और पाखंडियों से दूर रहिये, नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब हमारी ही सन्ताने हमें धर्म परिवर्तन पर मजबूर कर देंगी।
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