।।ओ३म्।।
देवयज्ञ/अग्निहोत्र/हवन
एक प्रकाश रासायनिक प्रक्रिया
जब सभी वाष्पशील पदार्थ वातावरण में दूर तक फैल जाते हैं, तब यह प्रक्रिया प्रकाश रासायनिक प्रक्रिया कहलाती है, जो सूर्य की किरणों की उपस्थिति में होती है। ऋषि-मुनियों ने इसी कारण यज्ञ को बाहर खुले में अर्थात् धूप में करने को प्राथमिकता दी है। इस प्रकार धूम्रीकरण से उत्पन्न उत्पाद ऑक्सीकरण, अपचयन व प्रकाश रासायनिक प्रक्रिया में जाते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड के अपचयन के बाद फॉर्मेल्डिहाइड का निर्माण होता है, जिसे निम्नलिखित रासायनिक क्रिया से दर्शाया गया है-
CO2+H2O —> HCHO+O2
जैसा कि विदित है, फॉरमैल्डिहाइड वातावरण में उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है, इसी प्रकार यज्ञ से उत्पन्न हुए अन्य पदार्थ, जैसे फॉर्मिक अम्ल व एसिटिक अम्ल भी अच्छे रोगाणुरोधक का कार्य करते हैं। प्रकाश रासायनिक प्रक्रिया के अन्तर्गत कार्बन डाइऑक्साइड की सान्द्रता में कमी व ऑक्सीजन की सान्द्रता में वृद्धि होती है, यही कारण है कि यज्ञ करने से वातावरण शुद्ध हो जाता है।
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*राष्ट्रीय आर्य निर्मात्री सभा*
(वेद विद्या को जन जन तक पहुँचाने को सङ्कल्पबद्ध)
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