महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन का प्रेरक प्रसंग…
एक दिन मथुरा का एक व्यक्ति चौबे महर्षि दयानंद सरस्वती जी के पास आया और ‘जय-जय राधाकृष्ण’ कह कर बैठ गया । फिर उसने थोड़ी सी मिट्टी उन्हें देनी चाही । उन्होने पूछा यह कैसी मिट्टी है।तो उसने कहा कि यह मिट्टी श्री कृष्ण जी ने खाई थी ।
महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने कहा की खाई होगी - बच्चे मिट्टी खाया ही करते है, परंतु बड़े आयु के मनुष्यों को तो मिट्टी खाना योग्य नहीं ।
फिर महर्षि ने उससे कहा कि तुम्हारे स्त्री सुरूपा और चतुर है ।
इस पर वह चौबे क्रोध करने लगा।
तो महर्षि जी ने उससे कहा कि तुम छोटी स्थिति के मनुष्य हो । तुमने इस बात पर कितना बुरा माना, यदि तुम श्री कृष्ण जी से कहते कि आप परस्त्री - गमन करते है और आप की गोपियां कैसी सुंदर है, तो वह तुम्हारे साथ क्या बर्ताव करते ।
यह सुनकर वह बहुत लज्जित हुआ और उठ कर चला गया…
हिन्दू समाज ने श्री कृष्ण सरीखे महापुरुष पर परस्त्री गमन का न केवल दोष लगाया अपितु राधावल्लभ, गोपिरमन जैसे नाम देकर उन्हें अपमानित भी किया है।
सत्य यह है कि श्रीकृष्ण जी की केवल
एक पत्नी थी वह थी माता रुक्मणी…
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